सिंधिया के आने से पहले सुलग उठी सियासत

Neemuch 10-08-2018 Regional

एक और तो होडिंग--कटआउट की बरसात कर कांग्रेस जन कर रहे भव्य स्वागत की तैयारियां तो दूसरी और मनासा में मनमानी नियुक्तियों से असन्तोष के बादल भी मंडराए.....

रिपोर्ट- सूरजमल राठौर 

मल्हारगढ मध्यप्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान के अध्यक्ष और पार्टी के स्टार प्रचारक सांसद महंत ज्योतिरादित्य सिंधिया मंदसौर-नीमच जिलों के दौरे पर आ रहे है. उत्साही कांग्रेस जन इस दौरे को न केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दौरे  का "जवाब"बता रहे हैं बल्कि सिंधियाजी के स्वागत के लिए बड़ी तैयारी भी कर रहे है जिस से की सिंधिया का भव्य स्वागत कर सके। इसके लिए न केवल मन्दसौर और नीमच शहरों को न केवल होडिंग और पोस्टरों से पाट दिया गया है बल्कि हाइवे रोड़ को भी होडिंग, बैनर और पोस्टरों से सजाया गया है .मन्दसौर और पिपलियामंडी में तो इतने ज्यादा होडिंग -बैनर लगाए गए है कि मानो बरसात की जगह होडिंग -बेनर ही बरस रहे हो.रुक रुक कर कभी तेज तो कभी धीमी बरसात भी हो रही है.ऐसा लगता है जैसे बरसात भी सिंधिया का स्वागत करने के लिए बेकरार हो.बहरहाल बरसात के बावजूद कांग्रेस जनो के हौसले कम नही बल्कि और ज्यादा हो गए है.बरसात से माहौल में जरूर ठंडक घुल गई हो पर कांग्रेस की संगठन की राजनीति सुलग उठी है.खासकर मनासा विधानसभा में जंहा पर सिंधिया के आने से एक दिन पहले हुई नियुक्तियों से कांग्रेस पर ही संकट के बादल मंडराने लगे हैं. मनासा क्षेत्र में न केवल सिंधिया गट को ही किनारे कर दिया गया है बल्कि "कमल छाप" कांग्रेसियों की नियुक्तियों  का आरोप भी लगाए जाने लगे हैंजिससे क्षेत्र में होने वाली स्टार प्रचारक सिंधिया की सभा "फिकी"भी रह सकती है. रामपुरा के  दिवान परिवार का क्षेत्र में और कांग्रेस में काफी महत्त्व है बावजूद इसके दिवान परिवार के मोंटू बन्ना को महज एक साल बाद ही ब्लॉक अध्यक्ष पद से हटा कर किसी ईश्वर मुजावडीया को बनाया गया है जिससे न केवल राजपूत समाज मे बल्कि आम कांग्रेस जनो में भी भारी आक्रोश है. रामपुरा के वज़नदार और लोकप्रिय दिवान परिवार को बड़े नेता कांग्रेस में लाए थे जबकि मोंटू बन्ना को खुद मीनाक्षी नटराजन ने ब्लॉक अध्यक्ष बनाया था लेकिन उनको इस तरह महज एक साल बाद ही हटानेसे कांग्रेस को तो नुकसान  होगा ही साथ ही  कांग्रेस में नया विवाद शुरू हो सकता है.ऐसा लगता है कि कांग्रेस के राह में कांटे बिछाने का काम खुद कांग्रेस जन ही कर रहे है?जिस ईश्वर मुजावदिया को नया अध्यक्ष बनाया गया है उस पर भाजपा से मिलीभगत के आरोप लगते रहे है  तो वंही सांसद सुधीर गुप्ता और विधायक कैलाश चावला से ईश्वर की नजदीकियां मानी जाती है.यही नही जो ब्लॉक  उप प्रमुख बनाया गया हैं वह  दिलीप रुद्रवाल तो दो बार पार्षद का चुनाव भी हार चुका है.मनासा में भी चन्द्रशेखर पालीवाल को हटा कर जिस गोपाल विजयवर्गीय को अध्यक्ष बनाया गया है वो पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा के समर्थन के बावजूद नगर परिषद के चुनाव में अपनी जमानत भी नही बचा पाए थे. पालीवाल को हटा कर विजयवर्गीय को नया अध्यक्ष बनाना कांग्रेस जनो को रास नही आ रहा है. लोग तो यंहा तक कह रहे है कि यह कमलनाथजी और सिंधिया जी को कमजोर करने की कंही साजिश तो नहीं?
   असन्तोष जावद में भी देखा जा रहा है लोग कह रहे है कि खुद कमलनाथजी के शिष्य ही कांग्रेस को कमजोर कर रहे है? रतनगढ़ ब्लॉक में राजू मंडोवरा को अध्यक्ष बनाया है पर वो तो वँहा रहते ही नही .मंडोवरा नीमच में रहते है और कोयले का कारोबार करते हैं.सिंगोली में भी अच्छा कार्य कर रहे ब्लॉक अध्यक्ष संजय तिवारी को तो हटा कर कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया जबकि  जिस की पारिवारिक पृष्ठ भूमि संघ के साथ जुड़ी हुई हैं उसी बनवारी जोशी को नया ब्लॉक अध्यक्ष बना दिया
   नीमच में भी एक अध्यक्ष और तीन कार्यकारी अध्यक्ष और एक प्रदेश सचिव बनाए जरूर गए है पर यंहा भी कार्यकारी अध्यक्ष भी विधायक की दावेदारी कर रहे हैं? कार्यकारी अध्यक्षो की लड़ाई भी जिले के गांधी भवन से निकल कर जिले के गाँवो और नगरों तक पंहुच गई.कोई किसी को तस्कर बता रहा है तो कोई किसी को दादा कह कर आपस मे ही भिड़ रहे है. ऐसे में लोगो मे यह धारणा बन रही हैं कि कांग्रेस खुद ही चुनाव जीतना ही नही चाहती और भाजपा को फायदा पहुचाना चाहती हैं? नीमच के गाँधी भवन पर भी कांग्रेस जनो की उपस्थिति काफी कम नजर आती हैं. जावद और नीमच विधानसभा में बागी चुनाव लड़ने वाले दो नेताओ को  भी कमलनाथजी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पदों से नवाजा गया है,एक को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है तो दूसरे को प्रदेश सचिव.इसका भी सन्देश कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ठीक नही गया.ऐसा माना गया की निष्ठावान और जमीनी कार्यकर्ताओं को किनारे किया जा रहा है और बागियों को गले लगाया जा रहा है