अनमोल-सुविचार
Neemuch 27-04-2018 Thought of the day
बोलने से ही हम जाने जाते हैं और बोलने से ही हम विख्यात या कुख्यात भी हो सकते हैं।
उतना ही बोलना चाहिए जितने से जीवन चल सकता है।
व्यर्थ बोलते रहने का कोई मतलब नहीं।
भाषण या उपदेश देने से श्रेष्ठ है कि हम बोधपूर्ण जीवन जीकर उचित कार्य करें।
मनुष्य को वाक क्षमता मिली है तो वह उसका दुरुपयोग भी करता है,
जैसे कि कड़वे वचन कहना, श्राप देना, झूठ बोलना या ऐसी बातें कहना
जिससे कि भ्रमपूर्ण स्थिति का निर्माण होकरदेश,समाज,परिवार,संस्थान और धर्म की प्रतिष्ठा गिरती हो।