अस्पताल में पिछले छह महीने से खाली है महिला डॉक्टर का पद......
रिपोर्ट- द्वारिका हुकवानी
ग्वालियर। डबरा सिविल अस्पताल में वर्तमान में एक भी महिला डॉक्टर नहीं हैं। जिसकी वजह से सिविल अस्पताल में महिलाओं से संबंधित बीमारियों की ओपीडी नहीं चल पा रही है। इसके साथ ही मेटरनिटी वार्ड भी पूर्णत: नर्सों के ही हवाले है। यहां डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं में नॉर्मल डिलीवरी तो नर्सें करा देती है, लेकिन थोड़े सी रिस्क होने पर ग्वालियर रैफर कर दिया जाता है। जिससे अस्पताल में महिलाओं से संबंधित रोगों के इलाज के लिए आने वाली महिलाओं और प्रसूताओं को परेशान होना पड़ रहा है।
सिविल अस्पताल में छह माह पहले प्रसूति रोग विशेषज्ञ, रजनी जैन थी । इसके साथ ही एक मेडिकल ऑफिसर आशा सिंह भी महिलाओं से संबंधित रोगों के मरीजों के देखती थी। लेकिन इसमें रजनी जैन का छह माह पहले ट्रांसफर होने के कारण अस्पताल में वर्तमान में एक भी गायनिक डॉक्टर नहीं है। सिविल अस्पातल में आसपास के क्षेत्र मिलाकर प्रतिदिन 250 से 300 के बीच महिलाएं और प्रसूताएं महिलाओं से संबंधित रोगों के इलाज के लिए अस्पताल आती हैं। लेकिन गायनिक न होने की वजह से कई महिलाएं वापस लौट जाती हैं।
ओपीडी में हर दिन करीब 250 से 300 पहुंचती हैं महिलाएं....
जुलाई के महीने में अस्पताल में हुईं थी 327 डिलीवरी......
महिलाएं चिकित्सक न होने की वजह से नॉर्मल डिलवरी तो नर्सें करा देती हैं, लेकिन थोड़ी सी परेशानी होने पर वह रिस्क न लेते हुए उन्हें ग्वालियर रैफर कर देती हैं। सिविल अस्पताल में प्रतिदिन 10 से 12 प्रसूताएं डिलीवरी के लिए आती हैं। जुलाई माह में 327 डिलीवरी हुई थी। अगस्त माह के 15 दिनो में में ही 120 प्रसूताएं डिलीवरी के लिए आईं, जिनमें से 25 महिलाओं को रैफर कर दिया गया। नाम न छापने की शर्त पर मेटरनिटी वार्ड की नर्सों ने बताया कि डॉक्टर न होने की वजह उन्हें भी काफी परेशानी हो रही है। डॉक्टर न होने के कारण डिलीवरी के दौरान थोड़ी सी मरीज की स्थिति खराब होने पर उन्हें समझ नहीं आता क्या करें। साथ ही रैफर करने पर मरीज भी समझने के लिए तैयार नहीं होते हैं और विवाद करते हैं। 28 जुलाई को जंगीपुरा निवासी रोशनी पत्नी दिनेश गोस्वामी डिलवरी के लिए आई थी, लेकिन उसका बीपी लो था, इसलिए डॉक्टर न होने की वजह से नर्सों ने रिस्क नहीं लिया और उसे रैफर कर दिया। वहीं 8 अगस्त को भी सीता पत्नी लोकेंद्र सिंह निवासी गुलिहाई को बच्चे में धड़कन कम होने के कारण उसे भी रैफर कर दिया गया।
इनका कहना.......
अस्पताल पहुंची तो पता चला की महिला डॉक्टर ही नहीं है......
हम सुबह से बैठे हैं, लेकिन दो घंटे बाद पता चला कि अस्पातल में कोई महिला डॉक्टर ही नहीं हैं। जब डॉक्टर ही नहीं तो किस बात का अस्पताल। अब हमें निजी क्लीनिक जाना पड़ेगा--[वैजयंती बाई, अयोध्या कॉलोनी- मरीज]
पता होता तो दिखाने के लिए ग्वालियर ही चले जाते......
हम काफी दूर से आए हैं। लेकिन यहां पता चला कि डॉक्टर ही नहीं हैं। इतनी दूर से आकर परेशान होना पड़ा। इससे अच्छा तो हम यहंा न आकर डॉक्टर को दिलखाने के लिए ग्वालियर ही चले जाते। अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं होने से अब परेशान होना पड़ेगा-- [सोनम, निवासी जतारा- मरीज]
बातचीत चल रही है, जल्द ही नियुक्ति की जाएगी......
अस्पताल में गायनिक डॉक्टर नहीं हैं ,लेकिन ओपीडी में मेडिकल ऑफिसर है। हम डॉक्टर की नियुक्ति के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दे चुके हैं। अभी बातचीत जल रही है, जल्द ही गायनिक की नियुक्ति की बात कही जा रही है--[मृदुल सक्सैना, सीएमएचओ, ग्वालियर]