मासूम को मिला इंसाफ- मंदसौर के बालिका दुष्कर्म केस के दोनों आरोपियों को फांसी की सज़ा का ऐलान
आरोपियों पर अलग-अलग धाराओं में आजीवन कारावास और अर्थ दण्ड की सज़ा भी मुर्कर की.......
रिपोर्ट- लोकेन्द्र फतनानी
नीमच। मध्यप्रदेश के मंदसौर में 8 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म कर मारने का प्रयास करने के बहुचर्चित मामले में दोनो आरोपियों इरफान. 24वर्ष और आसिफ .20 वर्ष को आज मंदसौर की विशेष न्यायाधीश, पास्को एक्ट श्रीमती निशा गुप्ता ने दोषी करार देकर फांसी की सज़ा सुना दी है। आरोपियों को अलग.अलग धाराओं में आजीवन कारावास और अर्थ दण्ड की सज़ा भी सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक बापू सिंह ठाकुर के अनुसार, मंदसौर में 26 जूंन 2018 को एक 8 वर्षीय स्कूली छात्रा के साथ बरगलाकर कुकर्म करने के बाद उसकी हत्या का प्रयास किया गया लेकिन संजोग से बालिका बच गई किन्तु गम्भीर रुप से घायल हो गई। गम्भीर घायल बच्ची मंदसौर से करीब 200 किलोमीटर दूर इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में 27 जून की रात से भर्ती है जहां उपचार जल रहा है। वह पिछले दो महीनों के दौरान दो जटिल सर्जरी से गुजर चुकी है।
इस प्रकरण को लेकर पुलिस ने सक्रियता पूर्वक तत्परता से कार्यवाही कर 29 जूंन को मंदसौर के मदार पुरा निवासी इरफान मेवाती.20 वर्ष और उसके साथी आसिफ मेवाती.24वर्ष को गिरफ्तार किया था। दोनो आरोपियों के विरुद्ध 12 जुलाई को पुलिस ने 350 पेज का चालान पेश किया था और 18 जुलाई को आरोप तय हुए जिससे दोनों आरोपियों ने इंकार किया था। कोर्ट ने इस मामले में 56 दिनों में ट्रायल पूरा कर आरोपियों की सजा सुनाई है। आपको बता दें कि इस मामले में 15 सेकंड के सीसीटीवी फुटेज के सहारे पुलिस ने वारदात को लगभग 24 घंटे के भीतर ही सुलझा लिया था और एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। सीसीटीवी फुटेज में आरोपी का चेहरा नहीं बल्कि दो अहम सुरागों की भूमिका सबसे ज्यादा रही थी और वो आरोपी के जूते और हाथ में बंधा काला धागा थी।
प्रकरण में 30 जुलाई से अभियोजन साक्ष्य शुरू हुई जो 8 अगस्त तक चली।इसमें 37 गवाह प्रस्तुत किये गए।बालिका ने भी आरोपियों की शिनाख्त की थी।अन्य साक्ष्य भी सामने रखे गए। बचाव पक्ष के वकीलों ने पुलिस जाँच को गलत बताया था। मामले में 12 अगस्त को बहस पूर्ण हुई थी और 21 अगस्त फैसले के लिए नियत की गई थी।
आज दिनांक 21 मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के साथ दोनो आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया जहाँ पहले न्यायाधीश श्रीमती गुप्ता ने अरोपियों को दोषी करार दिया और दोपहर बाद भादस की धारा 363 के तहत 7 साल के कारावास और 10 हजार अर्थ दण्ड, धारा 366 के तहत 10 साल के कारावास और 10 हज़ार अर्थ दण्ड, धारा 307 के अंतर्गत आजीवन कारावास एवम् 10 हज़ार अर्थ दण्ड तथा धारा 376 डी बी के तहत फाँसी की सज़ा सुनाई गई।
इस बहुचर्चित मामले के निर्णय को सुनने के लिए अदालत के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए थे। फैसला आने के बाद पीड़िता के परिजनों ने संतोष जताते हुए कहा है दोषियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाया जाना चाहिए ताकि कोई इस प्रकार के अपराध करने से डरे।
प्रदेश के अभियोजन महानिदेशक भोपाल, राजेन्द्र कुमार ने आरोपियों को फांसी की सजा पर संतोष जाहिर करते हुए मामले में पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक बापू सिंह ठाकुर और एडीपीओ नितेश कृष्णन की सराहना करते हुए उनको पुरुस्कृत करने का निर्णय किया है।
वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को फासीं की सजा पर संतोष जताते हुऐ कहा कि 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार करने वाले को फांसी की सजा का कानून बनने के बाद प्रदेश में मासूम बेटियों के साथ दुष्कर्म करने के मामले में 10 से ज्यादा लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।