मप्र हाईकोर्ट ने रखी अनोखी शर्त, केरल के बाढ़ राहत कोष में जमा कराएं 1 हजार रुपए, तब सुनेंगे सहायक शिक्षिका का केस

Gwaliyar 26-08-2018 Regional

रिपोर्ट- द्वारिका हुकवानी
 
ग्वालियर। मध्यप्रदेश में हाईकाेर्ट की ग्वालियर बेंच ने  एक सेवानिवृत्त सहायक शिक्षिका जरीना हाशमी श्योपुरकी याचिका स्वीकार कर ली। लेकिन इस शर्त पर कि वे केरल में आई आपदा के लिए बाढ़ राहत कोष में 1 हजार रुपए जमा करेंगे। याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट की शर्त को मानते हुए एक हजार रुपए जमा कराने की मंजूरी दे दी। दरअसल, श्योपुर के नगर पालिका क्षेत्र में कार्यरत रहीं शिक्षिका जरीन हाशमी को सेवानिवृत्त होने के बाद मिलने वाले लाभ में विभाग ने कटौती कर दी थी। इसे जरीना ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किए। लेकिन तलवाना (समय पर मौजूदगी) के अभाव में उनकी याचिका पहली सुनवाई में ही खारिज हो गई। उक्त याचिका को फिर से सुनवाई पर लाने के लिए उनके वकील ने आवेदन दिया। उनके वकील गौरव मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि किसी कारणवश मेरे मुवक्किल कोर्ट में मौजूद नहीं हो सके। उनके तर्क को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने उन्हें राहत कोष में 1 हजार रुपए जमा कराने का सुझाव दिया जिसे याची के वकील ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने केरल के मुख्य सचिव को भी इस संबंध में सूचित करने का निर्देश दिया है। उधर, खुद याचिकाकर्ता ने कहा कि यह मदद अगर बाढ़ पीड़ितों को जा रही है, तो इससे बढ़कर खुशी और क्या हो सकती है। मैं कोर्ट को धन्यवाद देना चाहती हूं। 
 
रिटायरमेंट के बाद पेंशन कम मिलने की दोबारा सुनवाई याचिका पर कोर्ट की शर्त.... 
याचिकाकर्ता बोलीं- मुझे चार गुना राशि देना पड़ेगा लेकिन बाढ़ पीड़ितों को पैसा जाने से खुशी है
 
पेंशन निर्धारित राशि से कम मिली तो हाईकोर्ट में लगाई याचिका..... 
श्योपुर शहर के श्री हजारेश्वर मेला मैदान में नगर पालिका का नेहरू बाल सदन एवं शिशु मंदिर स्कूल चलता है। इस स्कूल में सहायक शिक्षक के तौर पर जरीन हाशमी पदस्थ थीं। 2017 में हाशमी सेवानिवृत हुईं। उनका कहना है कि जब सेवानिवृति के बाद पेंशन मिलना शुरू हुई तो वह निर्धारित से कम थी। पता लगा कि ग्वालियर नगर निगम से ऑडिट में गड़बड़ी के कारण पेंशन कम निर्धारित हो गई। इस संबंध में आवेदन दिए लेकिन किसी ने सुनवाई नहींं की तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जरीन कहती हैं कि पैसा मिलने में भले देरी हो रही है लेकिन इस बात की खुशी है कि मैं बाढ़ पीड़ितों की मदद कर पाऊंगी। तलवाना का चार गुना जरूर देना पड़ेगा लेकिन मेरा पैसा बाढ़ पीड़ितों की मदद में जाएगा इस बात की खुशी है।