एसडीओपी पर होनी थी अवमानना की कार्रवाई, पर उससे पहले याचिका को ले लिया वापस

Gwaliyar 27-08-2018 Regional

रिपोर्ट- द्वारिका हुकवानी-

ग्वालियर। हाईकोर्ट की एकलपीठ से राजवीर सिंह ने अपनी उस याचिका को वापस ले लिया है, जिसकी सुनवाई के दौरान करैरा के एसडीओपी बीपी तिवारी ने हाईकोर्ट जज को देख लेने की धमकी दे दी थी और वकील को धक्का मार दिया था। इस अभद्र व्यवहार को देखते हुए हाईकोर्ट ने बीपी तिवारी को अवमानना नोटिस जारी किया था और जवाब भी मांगा था। इस मामले में सुनवाई पूरी हो पाती, उसी बीच याचिका दूसरी बेंच में सुनवाई के लिए पहुंच गई। राजवीर सिंह ने याचिका को वापस ले लिया। जिससे एसडीओपी को राहत मिल गई है।

वर्ष 2011 में शिवपुरी जिले के करैरा थाने की पुलिस बदमाशों को पकड़ने गई थी। इस बीच उन्हें गोली चलानी पड़ी थी, लेकिन एक पुलिसकर्मी को गोली लग गई थी। इस मामले में पुलिसकर्मी राजवीर सिंह व एक अन्य दोषी पाए गए थे। उनके खिलाफ धारा 307 के तहत केस दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट से इस मामले में आरोपियों को राहत मिल गई थी, लेकिन शासन ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी और केस को रीओपन कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। राजवीर ने एफआईआर को निरस्त करने के लिए याचिका दायर की तो हाईकोर्ट ने डायरी मंगा ली। डायरी में कई कमियां होने के साथ-साथ काटछांट भी की गई। 21 जून 2018 को करैरा एसडीओपी बीपी तिवारी हाईकोर्ट में जवाब पेश करने आए थे। पुलिस की भूमिका को लेकर हाईकोर्ट ने टिप्पणी कर दी थी, जिसे सुनकर बीपी तिवारी को गुस्सा आ गया। उन्होंने जज को धमकी दे दी। अभद्र व्यवहार करने पर कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। 22 जून 2018 को बीपी तिवारी को जवाब पेश करना था, लेकिन जवाब पेश करने के लिए समय ले लिया। इसके बाद यह केस दूसरी बेंच में सुनवाई के लिए लिस्ट हो गया। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका ही वापस ले ली।

तिवारी बोले थे कि मेरी तौहीन हुई है.....
एक अन्य केस की सुनवाई के दौरान केस की जांच में पुलिस द्वारा की जाने वाले लापरवाही पर जैसे ही कोर्ट ने टिप्पणी की तो पीछे बैठे बीपी तिवारी उठे और बोले कि आपने मेरी तौहीन की है। अभी तक मैं चुप हूं, लेकिन अब मैं देख लूंगा। बीपी तिवारी का रवैया इतना आक्रामक था कि बार काउंसिल के सदस्यों ने उन्हें रोकना चाहा, लेकिन वह जोर-जोर से चिल्लाते रहे। उन्होंने वरिष्ठ सदस्य डीआर शर्मा, प्रदीप कटारे और कोर्ट पीएसओ को भी धक्का दिया। वह लगातार कह रहे थे कि अब तक चुप रहे, लेकिन अब एक्शन लूंगा। कोर्ट ने सरकारी वकील प्रमोद पचौरी को निर्देशित किया कि बीपी तिवारी को सुनवाई पूरी होने तक अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय में ले जाया जाए। बीपी तिवारी के कृत्य से कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंची है। यह कोर्ट की अवमानना है। कोर्ट आदेशित करता है कि शुक्रवार को इस केस को प्राथमिकता से लिस्ट किया जाए जिसमें यह तय हो सके कि बीपी तिवारी का कृत्य माफी देने योग्य है या नहीं। कोर्ट ने यह बात अपने आदेश में लिखी है।

विशेष मामले की सुनवाई हो सकती है....
अगर हाईकोर्ट ने किसी मामले को संज्ञान में लिया है और उसमें नोटिस जारी किए हैं। उस मामले की अलग से सुनवाई कर सकता है। भले ही मूल याचिका वापस हो गई हो।

-दीपक खोत, अधिवक्ता