डबरा शहर की ज्यादातर सड़कें जानलेवा सड़क के बीच से निकली नालियां जानलेवा साबित हो रही

Gwaliyar 28-08-2018 Regional

रिपोर्ट- द्वारिका हुकवानी-

ग्वालियर। डबरा शहर की ज्यादातर सड़कें जानलेवा हो गई हैं। देश भर में सड़क के दोनों और नालियां बनती पर डबरा नगर में प्रभावशाली लोगों की नाली सड़क के  बीच से निकली जाती ,सड़क के बीच से निकली नालियां जानलेवा साबित हो रही
  
चैनल निर्माण के नाम पर लाखों बर्बाद किये जाते..... 
जवाहर गंज सुभाषगंज ग्वालियर झाँसी रोड, कुछ नगर पालिकाकी हैं तो कुछ पीडब्ल्यूडी  की। सड़क के बीच से निकली नालियां जानलेवा साबित हो रही  जोगेंद्र रोड पर सड़क के  बीच दबंग कीनाली से दुर्घटनाये होती,सड़कों पर बने  प्रायवेट स्पीड ब्रेकर खतरनाक हे 
सड़क के बीच कहीं गड्ढे 3 इंच गहरे हैं तो कहीं 6 इंच से ज्यादा। जिनमें बारिश होते ही पानी भर जाता है जिससे गड्ढे नजर नहीं आते। ऐसे में चार पहिया वाहन चालकों को झटका लगता है लेकिन वे सुरक्षित रहते हैं। लेकिन दो पहिया वाहन चालक और उसके पीछे बैठा व्यक्ति संतुलन खोकर गिर जाते हैं या जोरदार झटका लगता है। गिरने पर हाथ-पांव तुड़वा बैठते हैं तो झटका लगने पर रीड की हड्डी पर चोट पहुंचती है। ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
इन सड़कों का सबसे बुरा हाल......
बनखण्डेश्वर स्कुल रोड ,जंगीपुरा हनुमान डाडा , स्टेशन रोड सोसायटी रोड   ढीमरपुरा, गुरुद्वारा  रोड ]जवाहर गंज सुभाषगंज ग्वालियर झाँसी रोड.

जानलेवा साबित हो रहे गड्डे.....
सड़कों पर गड्ढे जानलेवा साबित हो रहे हैं और लोगों को जीवनभर का दर्द दे रहे हैं। गड्ढों के बचाने के फेर में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। दोपहिया वाहन चालक और उन पर बैठने वाले तो रीड की हड्डी का दर्द झेलने को विवश हैं। पिछले एक माह में इस तरह की समस्याओं के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।  नगर पालिकागिट्टी भरने में जुटा है लेकिन बारिश होते ही वह भी बह जाती है। इन सड़कों की हालत भ्रष्टाचार के कारण है। क्योंकि घटिया निर्माण के कारण है वे इस स्थिति में पहुंची हैं।

इनका कहना है....
सड़कों में गड्ढे खतरनाक साबित होते हैं। दोपहिया वाहन चालक और पीछे बैठने वाले यदि वृद्ध हैं तो ज्यादा खतरा होता है। क्योंकि दचकों के कारण रीड की हड्डी को जोरदार झटका लगता है। इससे रीड की हड्डी के वर्टिब्रा(गुरिए) दब जाते हैं और डैमेज हो जाते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
-डॉ. आरकेएस धाकड़, प्रोफेसर जीआरएमसी