सु-प्रभात
Neemuch 03-09-2018 Thought of the day
शिक्षक और सड़क दोनों
एक जैसे होते हैं,
खुद जहा है वही पर रहते हैं,
पर दूसरों को उनकीं मंजिल तक
पहुंचा ही देते हैं।
जो इंसान अच्छे विचार और अच्छे संस्कारो को पकड़ लेता है
फिर उसे हाथ में माला पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ती
अकाल हो अगर अनाज का तब मानव मरता है
किन्तु अकाल हो अगर संस्कारों का तो मानवता मरती है
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं और र्इमानदारी से बड़ी को विरासत नहीं।
फिर उसे हाथ में माला पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ती
अकाल हो अगर अनाज का तब मानव मरता है
किन्तु अकाल हो अगर संस्कारों का तो मानवता मरती है
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं और र्इमानदारी से बड़ी को विरासत नहीं।
“मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो
परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है…
“मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है!!
लेकिन “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है…”
“इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढ़ता है, और इच्छा पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है। इसलिये जीवन की हर स्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है।”
परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है…
“मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है!!
लेकिन “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है…”
“इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढ़ता है, और इच्छा पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है। इसलिये जीवन की हर स्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है।”