सखलेचा ने मुख्यमंत्री का सहारा ढुंढा तो, अहीर ने हिरोईन के पल्लू मे पनाह तलाशी.
Neemuch 23-11-2018 Regional
जावद मे जमीन खिसकने लगी है सखलेचा—अहीर की ....
''ग्राउंड लेवल'' पर भाजपा—कांग्रेस अलग, अन्दर की कहानी कुछ ओर...
समंदर पटेल के सवाल दोनो पर पड़ रहे है भारी ...
अभिनेत्री नगमा को हॉलीवूड मे तो राजू अहीर को नीमच मे, इनका जावद मे तो काम ही नही....
रिपोर्ट- ब्यूरों डेस्क......
जावद। जावद विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार समंदर पटेल अपने किसान पुत्र, समाज सेवी, सेवाभावी और मिलनसारिता, मदुभाषी व्यवहार के चलते जहां जावद विधानसभा क्षेत्र मे अपने जनसंपर्क के दौरान आम मतदाताओ की पहली पसंद बनते जा रहे हेै। वहीं उनके द्वारा विगत 15 वर्षा मे जावद विधानसभा की उपेक्षा कर चुनाव जीतने वाले सखलेचा और अपनी खोखली सक्रियता का दिखावा करने वाले पैराशूटी कांग्रेसी उम्मीदवार अहीर निर्दलीय प्रत्याशी पटेल की सफलता को पचा नही पा रहे है। जावद विधानसभा क्षेत्र की ग्राउंड रिपोर्ट को माने तो भाजपा कांग्रेस दोनो प्रत्याशी इस चुनाव मे जहां एक नजर आ रहे है वही दोनो का मुकाबला मानो समंदर पटेल से ही रह गया है सोशल मिडीया तथा समाचार पत्रो के माध्यम से चुनाव मे अब आक्रमक रूख अख्तियार कर चूके समंदर पटेल चुनाव मे अपने तीखे सवालो मे जनहित के मूलभूत आवश्यकताओ वाले सामाजिक मूद्दो को उठाकर सीधे आम मतदाता व भाजपा कांग्रेस कार्यकर्ताओ, पदाधिकारीयो के बीच जा रहे है तो वहीं उन्हे जनता भी पलको पर बिठा रही है। चुनाव के पहले चरण मे ही ऐसा लगता है मानो भाजपा विधायक सखलेचा ओर कांग्रेसी थोपे गये उम्मीदवार राजकुमार अहीर की जमीन खिसकती सी नजर आ रही है। चुनाव मे जहां कांग्रेस को भाजपा के प्रत्याशी सखलेचा से उनके 15 वर्षीय कार्यकाल मे किये गये कार्यो और जावद विधानसभा क्षेत्र को रसातल मे पंहुचाने के बावजूद भी अहीर ने एक बार भी भाजपा प्रत्याशी को कही सीधे तौर पर नही घेरा है जबकि समंदर पटेल ने अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुऐ झूठे विकास कार्यो और हजारो करोड़ की बाते करने वाले भाजपा विधायक को इस तरीके से घेर लिया है कि वो गांवो मे जनसंपर्क के दौरान उनके उठाये गये सवालो का जवाब तक नही दे पा रहे है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को ताबड़तौड़ बुलवाकर आमसभा करवाना या कैलाश विजयवर्गीय जैसे कद्दावर भाजपा नेता को जावद बुलवाना भी उनकी हताशा का पर्याय है। वही दुसरी ओर राजकुमार अहीर ने हॉलीवूड मे असफल होकर राजनिती के क्षेत्र मे अपने लटके—झटके दिखाने की कोशीश करने वाली फिल्मी हिरोईन ''नगमा'' को बुलाकर रोड़ शो तो करवा लिया, लेकिन हिरोईन को देखने के लिऐ इकट्ठी की गई भीड़ मे यह चर्चा चलती रही कि यह खुद फिल्मो मे अपना कोई मुकाम नही बना पाई, अब इसे लाकर कांग्रेसी प्रत्याशी अहीर कहां पंहुचेंगे कहना मुश्किल है। तो भीड़ मे यह विचार मंथन भी चलते हुऐ देखा ओर सुना गया कि कांग्रेस प्रत्याशी अपनी दंबगई ओर कानून कायदो को ताक पर रखने के लिऐ ना सिर्फ जाने जाते है बल्कि अपनी ही पार्टी के केबिनेट मंत्री सहित सर्वश्रेष्ठ विधायीकी का पुरूस्कार जितने वाले परम आदरणीय घनश्यामजी पाटीदार पर पत्थर बरसाने सहित लड़ाई झगड़ा करने के आरोपो से भी घिरे हुऐ है। जिसका आक्रोष क्षेत्र के पुराने व संयमशील, जमीनी कांग्रेसी कार्यकर्ताओ ओर पदाधिकारीयो मे आज भी देखा जा रहा है। जिसका खामियाजा भी अहीर को भुगतना होगा तो जनचर्चा तो यह भी हो रही है कि सतही तौर पर भले ही भाजपा ओर कांग्रेसी प्रत्याशी के रूप मे सखलेचा ओर अहीर चुनाव लड़ रहे है किन्तु भीतर घात के खतरे को भापकर आंतरिक तौर पर एकमत हो चले है । सूत्र बताते है कि पिछले चुनाव मे जब कांग्रेस प्रत्याशी रघुराजसिंह चौरड़िया को जावद विधानसभा क्षेत्र से टिकिट दिया गया था तो पार्टी से बागी होकर राजू अहीर ने ना सिर्फ कांग्रेस की जड़ो मे मट्ठा डाला था बल्कि अपरोक्ष रूप से सखलेचा को जिताने के लिऐ ही चुनाव लड़ा था जिसकी ''कीमत'' को लेकर भी व्यापक चर्चा जावद मे चलती रही है और जावद क्षेत्र के सखलेचा समर्थक अपनी उपलब्धियो मे सखलेचा का गुणगान करते हुऐ गा—गा कर खुल्लेआम कहते नजर रहे है ''भय्या'' दिल्ली वाला है, वो कुछ भी कर सकते है। चुनाव जीतना उनके लिऐ एक कला है आर्थिक समीकरण बिठाने मे भोपाल के भाई लोगो की सेटिंग जोरदार है। इन जुमलो को आम सुना जाता है। हालाकि विगत 15 वर्षो मे दलाल संस्कृति को विकसित कर ''भय्या'' ने जो राजनितीक चोसर जावद क्षेत्र मे बिछा रही है। इस बार उस चोसर से कई वजिर प्यादे घोड़े ना सिर्फ गायब हो गये है बल्न्कि अनदरूनी तौर पर सखलेचा को निपटनाने के लिऐ भी कमर कस चूके है, जिसका सीधा फायदा समंदर पटेल को मिल रहा है। जावद विधानसभा का चुनाव इस बार ना सिर्फ बदलाव का संकेत दे रहा है बल्कि मालवांचल मे जावद को एक नई राजनैतिक पहचान दिलाने मे भी शायद सफल हो सकता है।