दिल्ली वाले 'भय्या' जुबानी खर्च की बजाय काम करते तो,तीन हजार करोड़ मे 'जावद' दुसरा 'नोएडा ' बन जाता- समन्दर पटेल
Neemuch 23-11-2018 Regional
हार को सामने देखकर बोखलाये सखलेचा....
'मेरा ''विजन'' पूछने से बेहतर 15 साल मे आपने किया क्या, यह बतावे ?
रिपोर्ट- ब्यूरों डेस्क.....
जावद। जावद विधानसभा क्षेत्र का चुनाव दिन—ब—दिन अपने चरम पर पंहुचता जा रहा है। मालवांचल के सबसे पहले विधानसभा क्षेत्र मे पहली बार किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने स्थापित दोनो ही पार्टीयो के प्रत्याशीयो की निंदे उड़ा दी है। खासकर 15 साल मे झूठी घोषणाये, खोखले वादे, दलाल पृवत्ति तो विकसीत कर लफ्फाजी तंत्र का बुना हुआ आभा मण्डल तार—तार होता देख भाजपा के ओम सखलेचा बोखला गये है। उनकी हालत इस चुनाव मे इतनी बद्दतर हो चली है कि वो बजाय अपने तीन कार्यकालो मे किये गये विकास कार्यो की सच्चाई बताने के बजाय निर्दलीय प्रत्याशी समंदर पटेल के ''विजन '' के बारे मे अखबारो के माध्यक से सवाल उठा रहे है। जबकि वो भूल गये है सत्तारूड़ दल के वो पन्द्रह वर्षीय जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र से चुने जाते रहे है और इससे पूर्व भी उनके स्वर्गीय पिताजी विरेन्द्र कुमार सखलेचा इस क्षेत्र से ना सिर्फ कई चुनाव जीते बल्कि मुख्य मंत्री सहित कई मंत्री पदो पर भी सुषोभित रहे । बावजूद ना उनके कार्यकाल मे जावद विधानसभा क्षेत्र विकास के किसी अहम पायदान पर पंहुचा ओर ना ही विरासत को अपनी दावेदारी बताकर चुनाव जीतने वाले ओमजी इस दिशा मे कोई सार्थक प्रयास आज तक नही कर पाये। अपने दिल्ली ओद्योगिक संबंधो का हवाला देकर और बड़े—बड़े प्रदेश व राष्ट्रीय नेताओ को तो अपने धनबल से चुनाव के दौरान प्रचार के लिये लेकर तो आ गये । किन्तु उनसे कहलवाने के उपरान्त भी जावद विधानसभा क्षेत्र की बदहाली ओर बेबसी अपनी जगह पर मौजुद है। तीन हजार करोड़ की विकास गाथा तो बढ़चढ़कर सखलेचा समाचार पत्रो के माध्यम से आमजन मानस के सामने चुनावी माहोल को अपने पक्ष मे बनाने के लिऐ प्रस्तुत कर गये। किन्तु तीन हजार करोड़ से तो जावद आज दुसरा ''नोयडा'' बन जाता, लेकिन ''दिल्ली वाले भय्या'' जबानी जमा खर्च से ज्यादा कुछ नही कर पाये । वर्तमान परिदृष्य मे जावद विधानसभा क्षेत्र के हालात किसी से छूपे नही है। तफ्सील से बताये तो ''भय्या'' की कहानी उपन्यास का रूप लेले फिर भी उनकी थोथी घोषणाओ का कोई पार नही पा सकता। मूलहाजे के तौर पर 15 सालो के कार्यकाल की ऐवज मे अगर अपनी लंबी चोड़ी घोषणाओ की फेहरिस्त से कुछ काम भी अगर ''वो'' पूरे करवा पाते तो आज उनका झूठ पकड़ा न जाता और जगह—जगह जनसंपर्क के दौरान आम मतदाताओ, भाजपा कार्यकर्ताओ का आक्रोष यू खुलकर सामने नही आता।
आपने अपने हर चुनाव मे क्या क्या कहा और उसकी बानगी देखिये.....
नयागांव नीमच को ओद्योगिक कॉरिडोर बनायेंगे— आपने कहा था जापान सरकार की सबसे बड़ी योजना मे जावद क्षेत्र शामिल किया गया है। कॉरीडोर के चलते जावद का एक बड़ा क्षेत्र उद्योगो से जूड़ जायेगा और हजारो बेरोजगारो को रोजगार मिलेगा, क्षेत्र प्रगृति की ओर बढ़ेगा... हुआ क्या... आज तक सीसीआई की बंद फेक्ट्री चालू नही करवा पाये दुसरी ओर विक्रम सीमेन्ट फेक्ट्री ने पांव पसारते हुऐ सैकड़ो बीघा इस क्षेत्र की जमीने अधिगृहित कर ली, लेकिन सखलेचाजी बताये कितने युवा जावद क्षेत्र के रोजगार पा सके।
इसी क्रम मे ''जूट उद्योग'', पॉवर प्लांट, घाटा क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र बनाते हुऐ हवाई किले बनाये थे, यहां तक की जावद को जापान बनाने वाले ''भय्या'' जापान गये उनके धनाड्य मित्रो के बच्चे इन चुनावे मे उनका प्रचार—प्रसार तो कर रहे है, लेकिन जापान से वो कौनसी टेक्नॉलोजी लेकर आये थे, आज तक पता नही चला।
रतनगढ़, जाट क्षेत्र मे लोहा खदान क्षेत्र होने से लोहा आधारित उद्योग की स्थापना करेंगे, उनसे कोई पूछे कि लोहा उद्योग कौनसे घाटे पर लगाया है बल्कि जो खनन क्षेत्र था, वहां भी जमीनो के अधिगृहण करने से क्षेत्र का मजदूर वर्ग बेरोजगार हो गया।
कृषि आधारित नये उद्योगो की स्थापना अफीम भाजी का पेटेन्ट कराने, डोडाचुरा व अफीम उत्पादको को उनकी उपज के दाम चारगुना दिलाने जैेसे वादो मे कोई एक भी पूरा हुआ।
नर्मदा, चम्बल को मिलाने का प्रयास कर जावद विधानसभा क्षेत्र की पेयजल किल्लत और कृषि को उन्नयन तकनिक से करवाने मे क्या वो सफल हुऐ ।
देखा जाये तो उनके झूठे वादो और खोखले इरादो के ये मामूली उदाहरण है चुनाव तक तो जनता 15 साल की सारी घोषणाये सामने ले आयेगी। फिर वो क्या जवाब देते है यह देखने वाली बात होगी।