मन पवित्र करने का माध्यम है चार्तुमास- साध्वी गुणरंजना श्रीजी मसा.
रिपोर्ट- केबीसी न्यूज.....
नीमच। आधुनिक युग में मानव मशीन की तरह दौड़ रहा है ऐसे में चातु्रमास धर्म तपस्या के माध्यम से मन पवित्र करने का सषक्त माध्यम है। मनुष्य की आशक्तियों से निवृति के लिए चार्तुमास काल होता है हमारी निवृति को सुधारने के लिए यह स्वर्णिम अवसर है संयम की राह पर चले तो प्रत्येक दिन चार्तुमास होता है। जीवन में प्रतिदिन जीवदया का चिंतन करना चाहिए तभी आत्मा का कल्याण होता है। यह बात साध्वी गुणरंजना श्रीजी मसा ने कही वे श्री जैन श्वेताम्बर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर द्वारा शुक्रवार सुबह आयोजित चार्तुमास परिवर्तन एवं भावयात्रा के निमित 200 हुडको कालोनी उद्यान में आयोजित धर्मसभा में बोल रही थी। उन्होने कहा कि चरित्र दिनचर्या में परिवर्तन नहीं आये तो चार्तुमास सार्थक नहीं होता है मानव की यात्रा का दण्ड कहीं नहीं है। हमारी आत्मा की अंतिम यात्रा का विश्राम कहां है चिन्तन करना होगा। प्रभु के पास वितरागता आर्शीवाद कृपा रहती है। व्यक्ति की इच्छा और वासना पर कभी ब्रेक नहीं लगता है । हम आसक्तियों से निवृत हो इसलिए चार्तुमास आयोजित होता है हमारे जीवन में अगाढ़ संयमता आना चाहिए। सम्पति के विवाद से भाई-भाई के रिश्तों के बीच दिवारें खड़ी हो जाती है ज्ञानाचार्य मस्तिष्क है। दर्शनाचार्य हद्रय, तपाचार से ओज आता है वीर्याचार शरीर है। बिना बीज के पौधा बिना जींव के मकान नहीं बनता है व्यक्ति स्वार्थ के खातिर हिंसा करता है। मानव अपना ईगो छोड़ने को तैयार नहीं होता है संत की देशना से भावों में परिवर्तन होता है जन्म-जन्म से मनुष्य में राग, द्वेष की दिवारे है ये मिटना चाहिए। शरीर में दस प्राण होते है एक भी चला जाय तो शरीर निष्प्राण हो जाता है । भावों में परिवर्तन से ही शांति आती है। पिता पुत्र, भाई बहन, मां-बेटे, भाई-भाई में तकरार बढ़ रही है हम समन्वक बने दिवार नहीं बने। हम जानी दुश्मन से आ गले लग जा का अवसर चार्तुमास है कसमे वादे कभी पुरे हो नहीं पाते है गुरू का वादा जीवन पर्यन्त पुरा करना चाहिए। गुरू उपकार से जीवन में परिवर्तन हो जाता है संतान को बिगड़ने के लिए माता-पिता, मोबाईल, रूपये, गाड़ी स्वयं दिलाते है। हमारा व्यवहार नहीं सुधरेगा जब तक जीवन में परिवर्तन नहीं आ सकता है। गिलहरी को श्रीराम ने मुक्ति प्रदान की थी। संत को विदाई देते नहीं होती है लोक व्यवहार की भाषा है संतों की मौज हम लुट नहीं सकते है। मालवा का प्यार आंखो में झलकता है। मालवा में खुब प्रेम बरसता है। बही पाश्र्वनाथ में साधना का आनंद निराला है। हम भी राग, द्वेष, कषाय का त्याग करना चाहिए । संत चैकी पर बैठे चैकीदार है श्रावक-श्राविकाएं जमीन पर बैठे जमीदार है । प्रेम प्रकाश जैन ने कहा कि साधु संतों की विदाई एक परम्परा है। चार्तुमास परिवर्तन पर संत समाज कल्याण के लिए आगे विहार करते है। विदाई की बेला कश्ट दायक होती है यह आवश्यक प्रक्रिया है यह विदाई नहीं प्रक्रिया है नीमच क्षेत्र पर इसी प्रकार कृपा बनाये रखे आपका मार्गदर्शन प्रदान करते रहे है। साध्वी श्रीजी निरन्तर जीवन पर्यन्त चलते रहे । राकेश आंचलिया जैन ने कहा कि चार्तुमास आत्म कल्याण के लिए होते है धर्म, ज्ञान, गंगा प्रवाहित हुई धार्मिक आयोजन सफल हुवे, साध्वी जी मसा का हद्रय से आभारी है। श्रीसंघ विदाई नहीं चाहता है व्यवस्था में कोई त्रुटि हो तो हद्रय से क्षमा प्रार्थी हूॅं। उन्होने धन्य हुई धरा विकास नगर की चारमास का मेला सुन्दर फिर होगी विदाई बार-बार क्षमा याचना, राजमल छाजेड़ ने कहा कि जीवन सफल हो आपका यही ज्योति जलाते है आप जहाॅ भी रहे हमें भूल मत जाना है। सोहनलाल छाजेड़ ने कहा कि साध्वी जी के मन में जीवदया के लिए पीड़ा है ।
वे दयावान है श्रीमती शकुन्तला गोपावत ने गुरूकृपा महान है गुणरत्नों की खान इन्हें कभी नहीं भुलेंगे ये दादावाड़ी की शान है और विकास नगर की जान है...अंजली छाजेड़ ने गुरूवी के चरणों में अच्छा लगता है गुरूवी का दरबार सच्चा लगता है....गीत प्रस्तुत किया। गुरूवंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ । प्रेमप्रकाश जैन, गोवर्धनलाल बाफना, राजमल छाजेड़, राजेश जैन, शिखरचन्द पगारिया, क्षिप्रा जैन, अंजली छाजेड़ एवं समुह ने आये है गुरूजी विनती स्वीकार कर के....चन्दन भी खुशबु छोडे....हीना भी रंग लाली है पत्थर पर गिरकर....श्रीमती निधि जैन ने सुना है आंगन और सुना है ये मन गुरूवर ना जाओ यह कहती है धड़कन तुम छोड के जाओगे हम सबको रूलाओगे...प्यारी गुरूवाणी है बड़ी ही सुहानी है आज है विदाई बड़ी दुख दाई है...निकिता पगारिया, रानी नान्देचा ने गुरूवरजी कितने महान बडे ही दयालु है मेरे गुरूजी परम कृपालु है मेरे गुरूजी जैन धर्म की आन और शान....श्रीमती वंदना आॅंचलिया ने मेरी जिन्दगी संवारी मुझको शरण में लाके जन्नत मिली जहां की गुरू चरणों में गुरू के आके गुरू तेरे चरणों में मैने तो जहाॅं पाया मिल गई सारी खुशियां मेरे दिल की ये अर्ज है तेरे चरण कमल में हमें जिन्दगी लुटाना गुरू तुम दूर ना जाना......गीत प्रस्तुत किया । फारूख भाई ने मंगल गाओ आज मेरे गुरूवर घर आये है....गीत प्रस्तुत किया । साध्वी श्रीजी मसा ने वाह-वाह रे मौज फकीरों की....गीत प्रस्तुत किया । धर्मसभा का शुभारमभ साध्वी श्रीजी मसा. ने गुरू इकत्तीसा पाठ श्रवण करवा कर की । धर्मसभा संचालन राजमल छाजेड़ ने किया आभार नितेश नांदेचा ने व्यक्त किया।
भावयात्रा में उमड़े श्रद्धालु......
श्री जैन श्वेताम्बर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर द्वारा साध्वी गुणरंजना श्री मसा का चार्तुमास परिवर्तन पर भावयात्रा शुक्रवार सुबह विकास नगर महावीर जिनालय पर नवकारसी के बाद प्रारम्भ हुई। जो क्षेत्र के प्रमुख मार्गो से निकली भावयात्रा श्रीमती गुणमाला, निवेश, नरेश, नितेश नांदेचा के आवास 200 हुडको कालोनी, मंशापुर्ण बालाजी उद्यान परिसर पहुॅचकर चार्तुमास परिवर्तन धर्मसभा में परिवर्तित हो गई।
सर्वप्रथम नांदेचा परिवार की महिलाओं ने साध्वी गुणरंजना श्रीजी की अगवानी में आर्कषक स्वातिक, दीपक से सजी रांगोली बनाई थी। अक्षत गवली से अभिषेक किया। और साध्वी श्रीजी के पगलिए करवाएं साध्वी श्रीजी ने मांगलिका श्रवण करवा आर्शीवाद प्रदान किया। भावयात्रा में सैकड़ों समाजजन सहभागी बने। बैण्डबाजों पर भजन कीर्तन की स्वर लहरियां बिखर रही थी ।
इनका किया बहुमान.....
धर्मसभा में गुणमाला बहन, निवेश, नरेश, नितेश, नांदेचा परिवारजनों का श्रीसंघ ट्रस्ट पदाधिकारियों द्वारा शाॅल, माला, श्रीफल से बहुमान किया गया।