अमित शाह ने गांधीनगर से भरा नामांकन
शाह के नामांकन को एक बंपर आयोजन बनाने के पीछे भी भाजपा की रणनीति साफ है कि पार्टी एक तरफ मतदाताओं को यह संदेश देना चाहती है कि नरेंद्र मोदी के बाद अगर पार्टी में कोई दूसरा सबसे बड़ा और अहम नेता है तो वह अमित शाह ही हैं.....
रिपोर्ट- ब्यूरों डेस्क
गांधीनगर। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा के लिए शनिवार को गांधीनगर से अपना नामांकन दाखिल किया। गांधीनगर लोकसभा सीट 2014 से पहले तक भाजपा के लिए लखनऊ के बाद सबसे महत्वपूर्ण सीट होती थी। यहां से पार्टी के संस्थापक नेता और शिखर पुरुष लाल कृष्ण आडवाणी चुनाव लड़ते थे। 2014 में भी आडवाणी यहां से चुनाव लड़े लेकिन तब तक पार्टी और सियासत का केंद्र आडवाणी की जगह नरेंद्र मोदी बन चुके थे जो तब बनारस और वड़ोदरा से चुनाव लड़े थे।
इस बार फिर वाराणसी के बाद गांधीनगर भाजपा के लिए दूसरी सबसे अहम लोकसभा सीट है, क्योंकि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अपना पहला लोकसभा चुनाव यहीं से लड़ रहे हैं। वैसे गांधीनगर की सरखेज सीट से अमित शाह लगातार विधायक रह चुके हैं और यह इलाका उनके लिए बेहद जाना पहचाना है।
शाह के नामांकन के मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अलावा शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष प्रकाश सिंह बादल, शिवसेना अध्यक्ष ऊद्धव ठाकरे और केंद्रीय मंत्री व लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान जैसे दिग्गज नेता भी मौजूद थे।नामांकन से पहले निकले जुलूस में उमड़ी भारी भीड़ ने संकेत दे दिया कि शाह के लिए यहां विपक्ष की कोई चुनौती नहीं है। शाह के नामांकन को एक बंपर आयोजन बनाने के पीछे भी भाजपा की रणनीति साफ है कि पार्टी एक तरफ मतदाताओं को यह संदेश देना चाहती है कि नरेंद्र मोदी के बाद अगर पार्टी में कोई दूसरा सबसे बड़ा और अहम नेता है तो वह अमित शाह ही हैं। इसलिए उनके नामांकन को सिर्फ भाजपा का ही नहीं एनडीए का आयोजन बनाया गया। दूसरे शाह का यह पहला लोकसभा चुनाव है इसलिए भी वह किसी भी तरह का जोखिम न लेकर पूरे दम खम के साथ मैदान में उतरने का संदेश भी देना चाहते थे। इस बड़े आयोजन का एक साफ संदेश यह भी है कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में शाह का कार्यकाल लोकसभा चुनावों के बाद पूरा हो जाएगा, तब अगर केंद्र में एनडीए की सरकार बनती है तो वह प्रधानमंत्री के बाद सरकार में दूसरे नंबर के नेता होंगे। गांधीनगर से शाह के चुनाव लड़ने के पीछे गुजरात की जनता को यह संदेश भी देना है कि मोदी और शाह के लिए गुजरात आज भी उतना अहम है जितना 2014 और उसके पहले था। भाजपा इस बार भी गुजरात में 2014 जैसा करिश्मा ही करना चाहती है, इसलिए भी शाह गांधीनगर से चुनाव मैदान में उतरे हैं।