सु-प्रभात

Neemuch 18-06-2020 Thought of the day

किसी के घर जाओ तो अपनी “आंखो” को इतना काबू में रखो कि उसके “सत्कार” के अलावा उसकी “कमियाँ” न दिखे और जब उसके घर से निकलो तो अपनी “ज़ुबान” काबू में रखो ताकि उसके घर की “इज़्ज़त” और “राज़” दोनो सलामत रहे......

झूठ बोलना भी एक कला है !
झूठ बोलना भी एक कला है, जिसमें इंसान अपने बुने हुए जाल में फँसता भी खुद है और उलझता भी खुद है.....

नि:शब्‍द हो जाता हूँ जब देखता हूँ !
निःशब्‍द हो जाता हूँ जब देखता हूँ दो घड़ी की रोटी के लिए इतनी मेहनत और एक हम नमक ज्‍यादा है, कहकर थाली खिसका देते है......