निंबाहेड़ा में पर्यावरण प्रदूषण के चलते बड़ रहा चर्म रोग, यही हाल रहा तो महामारी फैलने का खतरा ?
Nimbahera 04-05-2018 Regional
शहर में यूं तो कई तरह का प्रदूषण देखा जा सकता, लेकिन क्षेत्र की कुछ फैक्ट्री अौर ईट भट्टों, स्टोन क्रेशर, केमिकल से जुड़े उद्योग द्वारा प्रदूषण नियंत्रण मानकों की पालना में लापरवाही बरतने से होने वाले प्रदूषण के चलते लोगों की त्वचा में सूखापन बढ़ रहा है, जो चर्म रोग के जन्म का प्रमुख कारण माना जाता जा रहा है...
विशेष रिपोर्ट- अशरफ मेव
निंबाहेड़ा। निंबाहेड़ा शहर में एलर्जी, एग्जीमा, खुजली, दाद, सहित कई तरह के चर्म रोगों से पीडि़त लोगों को मुकम्मल इलाज नहीं मिलने के अभाव में उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है। हैरत की बात यह है सामान्य चिकित्सालय के डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बावजूद रोगियों का आंकड़ा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। निंबाहेड़ा राजकीय सामान्य चिकित्सालय से चर्म रोग से संबंधित रोगियों की संख्या के आंकड़े काफी चोकाने वाले है निंबाहेड़ा रेफरल चिकित्सालय से खबर गुलशन निंबाहेड़ा टीम द्वारा नगर में महामारी की तरह फैलते चर्म रोग से संबंधित रोगियों के आंकड़े लेने पर काफी चोकाने वाले आंकड़े सामने आए है निंबाहेड़ा शहर में रोगियों की संख्या सैकड़ों में नही बल्कि हजारों में है। राजकीय सामान्य चिकित्सालय निंबाहेड़ा के चिकित्सा अधिकारी डॉ. के. आसिफ से प्राप्त चर्म रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या के आंकड़े 1 मार्च 2018 से 30 मई 2018 तक कुल 58494 रोगियों में से 6628 चर्म रोग से जुड़े रोगी सामान्य चिकित्सालय में चर्म रोगों के इलाज के लिए आए हैं वैसे यह संख्या और बड़ने का अनुमान है क्योंकि यह आंकड़े सिर्फ राजकीय सामान्य चिकित्सालय में इलाज कराने आए रोगियों के है वैसे नगर में बड़ी संख्या में ऐसे चर्म रोग पीड़ित भी है जो निजी क्लीनिकों और निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं अगर उनकी संख्या भी काउंट की जाए तो रोगियों का आंकड़ा काफी बड़ सकता है वैसे जमीनी सच्चाई खंगाली जाए तो काफी हद तक नगर के पर्यावरण प्रदूषण के चलते शहर में एलर्जी से जुड़े रोगों की महामारी फैलने का खतरा बड़ता जा रहा है क्योंकि निंबाहेड़ा सामान्य चिकित्सालय में चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने के चलते रोगी चिकित्सालय में कार्यरत डॉक्टरों से इलाज कराने के लिए मजबुर है लेकिन चर्म रोग का इलाज सही नहीं होने के चलते रोग बड़ता जाता है और रोग ज्यादा बड़ने पर राजकीय सामान्य चिकित्सालय में कार्यरत डॉक्टर रोगियों से चितौड़गढ़ जाकर चर्म रोग विशेषज्ञ से इलाज कराने की कह देते है। ऐसे में रोगी अपने आप को काफी ठगा हुआ महसूस करता है
पर्यावरण प्रदूषण के चलते बड़ रहा चर्म रोगों का खतरा....
प्रदूषण, वायु-प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभिन्न उपाय अमल में लाए जा रहे हैं। अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर प्रदूषण रोकने के लिए संस्थाएं चला रही है लेकिन प्रदूषण है कि बढ़ता ही जा रहा है। प्रदूषण रोकने के नाम पर अपनी दुकानदारी चला रही कई संस्थाओं को आमजन में एलर्जी से होने वाली बीमारियां नजर नहीं आती है यूं तो शहर में आए दिन कई बीमारियों के शिविर आयोजित किए जाते रहे हैं लेकिन किसी संस्था को शहर में चर्म रोगियों से जुड़ी जांच और उनका इलाज कराने का समय नहीं है क्योंकि शायद यह डर भी सताता होगा की चर्म रोगियों की जांच करने पर पीड़ित रोगियों के आंकड़े आमजन के सामने ना आजाए लेकिन किसी को तो जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी क्योंकि यह आमजन के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है।
शहर में यूं तो कई तरह का प्रदूषण देखा जा सकता, लेकिन क्षेत्र की कुछ फैक्ट्री अौर ईट भट्टों, स्टोन क्रेशर, केमिकल से जुड़े उद्योग द्वारा प्रदूषण नियंत्रण मानकों की पालना में लापरवाही बरतने से होने वाले प्रदूषण के चलते लोगों की त्वचा में सूखापन बढ़ रहा है, जो चर्म रोग के जन्म का प्रमुख कारण माना जाता जा रहा है। फैक्ट्रियों और ईट भट्टों, केमिकल से जुड़े उद्योग, स्टोन क्रेशर से निकलने वाली डस्ट, धूल से चमड़ी की नमी प्रभावित होती है। जिसके चलते चर्म रोग बढ़ते है। पहली स्टेज पर शरीर में खुजली की समस्या होने लगती है तथा बाद में धीरे-धीरे यह दाद-खाज व अन्य चर्म रोग में बदल जाती है।अभी हाल ही में लगभग एक माह पूर्व राजस्थान के बुंदी जिले के लाखेरी कस्बे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों को ताक पर रखकर लोगों के जीवन से खिलवाड़ का मामला सामने आचुका है। बूंदी जिले के लाखेरी सीएचसी प्रभारी डॉ. सुनिता दुआ सीमेंट फैक्ट्रियों के प्रदूषण से क्षेत्र के लोगों में चर्म रोग, श्वांस संबंधी बीमारी और कैंसर जैसी घाटत रोग फैलने की बात स्वीकार कर चुकी है।
राजस्थान के बूंदी जिले से मिली मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लाखेरी कस्बे में स्थित सीमेन्ट फैक्ट्रियां में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों को ताक रख कर उत्पादन कर रही हैं. धूल और सीमेंट कणों के चलते श्वास, चर्मरोग, कैंसर जैसी धातक बीमारियों के शिकार हो रहे कस्बे के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सीमेंट फैक्ट्री की धूल और सीमेंट कंण से लोगों को श्वांस संबंधी बीमारी हो रही है. इसके साथ टीबी, चर्मरोग, आंखों में जलन, बाल झड़ने और कैंसर जैसे रोगों के शिकार हो रहे हैं. अभी हाल ही में निंबाहेड़ा तहसील की जावदा पंचायत के ग्राम धिनवा में भी खेतान केमिकल्स ( खाद फैक्ट्री) से भी चर्म रोगों के फैलने की आशंका के चलते ग्रामीणों ने फैक्ट्री के ताला लगाकर कर फैक्ट्री के बाहर प्रदर्शन कर निंबाहेड़ा तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर फैक्ट्री को आबादी क्षेत्र से दूर लगाने की मांग रखी है। इस घटना के चलते ग्रामीणों में काफी रोष देखने को मिला है। लेकिन जिस तरह से शहर में चर्म रोग से जुड़े रोगियों के बेहद चोकाने वाले आंकड़े सामने आए है उसके चलते पर्यावरण प्रदूषण की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता हैं।
विशेषज्ञ का अभाव, धूल है मुख्य बीमारी का कारण.....
निंबाहेड़ा राजकीय चिकित्सालय में चर्म रोग विशेषज्ञ नहीं होने से लंबे समय से उपचार करवा रहे लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। निंबाहेड़ा शहरी क्षेत्र में चर्म रोग से जुड़े रोगियों के चोकाने वाले बड़े आंकड़े को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को शहर में चर्म रोग की रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चलाकर की बीमारी के क्या कारण हैं इसकी जांच करने की जरूरत है कि कहीं क्षेत्रीय सीमेंट फैक्ट्रियों से उड़ने वाली धूल और सीमेंट के बारीक कण से आमजन की सेहत के साथ खिलवाड़ तो नहीं हो रहा है ? और क्या सीमेंट फैक्ट्रियों द्वारा पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों का पालन ईमानदारी से किया गया है ? क्योंकि यह आमजन के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है एक चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से मिली जानकारी के अनुसार धूल व सीमेंट के कण सांस व भोजन के साथ शरीर में जाने पर त्वचा व सांस सबंधित विकार पैदा होते है जेसे की नाक में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ, सर्दी जुकाम बने रहना, खुजली होना, आंखों से पानी बहना और सोने में दिक्कत होती हो तो शायद आपको धूल से एलर्जी हो सकती है।धूल से होने वाली एलर्जी सबसे ज्यादा खतरनाक और परेशानी देने वाली एलर्जी होती है।ऐसे लक्षणों में तुरंत अच्छे चर्म रोग विशेषज्ञ से संपर्क करने की जरूरत है ताकि आपके फेफड़ों में कोई संक्रमण ना होने पाए शहर के लोगों की मांग है कि चर्मरोग से संबंधित विशेष शिविर लगाए जाना चाहिए ताकि चर्म रोग से पीड़ित क्षेत्र के लोगों को राहत मिल सके। क्षेत्र के आमजन ने स्थानिय जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि जल्द से जल्द चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर को निंबाहेड़ा राजकीय सामान्य चिकित्सालय में लगाकर आमजन को राहत प्रदान करें।
जवाबदारों का कहना.....
चर्म रोग से जुड़े रोगियों आंकड़े चिंताजनक है।क्षेत्र की सीमेंट इंडस्ट्रीज से उड़ने वाली डस्ट, धूल से भी एलर्जी की बीमारी संभव है और भी कारण हो सकते है जल्द ही जांच कर आमजन को राहत पहुंचाने की पूरी कोशिश की जाएगी।
-मंसूर खान
खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी निंबाहेड़ा(राज)