मोदी जी का यह सपना है कि हर गरीब को घर मिले
Ratlam 08-05-2018 Regional
जगह-जगह पक्के मकानों को बनाने का कार्य प्रगति पर है परंतु क्या यह सपना वास्तव में जरुरतमंदों तक जा रहा है और क्या हकीकत में गरीब आदमी के पास रहने के लिए मकान नहीं है ...?
रिपोर्ट- कीर्ति वर्रा
हर गरीब को घर मिले,यह सरकार का दावा है और वादा भी है । हम भी बेशक चाहते हैं कि भारत वर्ष का हर व्यक्ति अपने सिर के ऊपर पक्की छत हो और इज्जत की जिंदगी जिए
"माननीय प्रधानमंत्री महोदय द्वारा पूरे भारतवर्ष में प्रधानमंत्री आवास योजना कार्यक्रम चलाया जा रहा है"
जिसके तहत जगह-जगह पक्के मकानों को बनाने का कार्य प्रगति पर है परंतु क्या यह सपना वास्तव में जरुरतमंदों तक जा रहा है और क्या हकीकत में गरीब आदमी के पास रहने के लिए मकान नहीं है ...? जो सरकार उसे पक्का मकान दिला रही है ।
एक पत्रकार होने के नाते मेरी कुछ कुंठाएं हैं जो मैं आप सभी के समक्ष रखना चाहता हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी इस कुंठा को शांत करने के लिए आप मेरी सहायता करेंगे
सर्वप्रथम प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हर गरीब आदमी को अपना एक घर मिलेगा जिसके लिए सरकार द्वारा कुछ रकम जो हितग्राही के सीधे खाते में जमा कर दी जाएगी । उसके पश्चात अलग-अलग समय में पूरी राशि को मकान बनाने के लिए हितग्राही को दिया जाएगा"यहां तक तो सारी बात समझ में आती है कि मकान बनाने के लिए जो भी राशि आवंटित की जाएगी"
हितग्राही को उसके खाते के माध्यम से प्राप्त होगी परंतु क्या यह पैसा वास्तव में मकान बनाने के काम में आएगा ,इस बात की गारंटी कौन लेता है
एक समय था जब प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर इंदिरा "गांधी कुटीर योजना" चलती थी और उस कुटीर के माध्यम से ग्राम पंचायतों में गरीब लोगों को घर बनाने के लिए "महज कुछ हजार रुपए" दिए जाते थे और उसमें भी भ्रष्टाचार का आरोप लगता था,परंतु वर्तमान सरकार ने तो कुछ हजार से हटाकर "ढाई लाख रूपये" तक गरीब लोगों को दे दिए हैं परंतु क्या गरीब की परिभाषा आप बता सकते हैं ।
वास्तव में गरीब उस व्यक्ति को कहा जा सकता है जिसके पास "सरकारी मापदंड के आधार पर BPL का कूपन या अंत्योदय योजना के अंतर्गत कूपन हो।" और उस व्यक्ति की निजी कोई संपत्ति ना हो ,ऐसे व्यक्ति को घर की व्यवस्था सरकार करवा रही है परंतु मैं यह जानना चाहता हूं कि आज के वर्तमान समय में BPL का राशन कार्ड 100 में से 40% गरीब जो वास्तविक है और 60% BPL राशन कार्ड उन लोगों के पास में है जो गरीब नहीं है
जो राजनीति में हस्तक्षेप रखते हैं ,पैसा खर्च करना जानते हैं ,उन लोगों का BPL राशन कार्ड बना हुआ है* और *इस प्रकार के राशन कार्डों को भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ हुआ ।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत जो राशि "हितग्राही को दी जा रही है वह हितग्राही द्वारा मकान बनाने तक सही इस्तेमाल किया जाएगा इस बात की कोई गारंटी नहीं है"
"प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ऐसे ऐसे लोगों ने अपने आप को गरीब दर्शा रखा है जिनके पास में हेक्टेयर जमीन है, अपने खुद के पक्के मकान हैं ,ऐशो-आराम की जिंदगी है ,भोग विलासिता के सारे साधन मौजूद हैं उसके बावजूद भी प्रधानमंत्री आवास योजना में उनके खाते में पैसा आ गया है"
यह अगर शासन द्वारा निर्धारित मापदंड में BPL का राशन कार्ड बनाया जाता है तो मेरा यह प्रश्न है कि ऐसे लोगों को पात्र मान कर उन्हें मकान के लिए राशि क्यों दी गई जो पहले से मकान या भोग विलासिता के साधन रखते हैं ।
सरकार के साथ भ्रष्टाचार करके सरकार को धोखे में रखकर ,अपने रसूख या जान पहचान का फायदा लेकर BPL का कार्ड बनवाना ,कहां तक न्यायोचित है....
इस प्रकार से अगर हर व्यक्ति अपने प्रभाव का उपयोग करके सरकार की योजना का दुरुपयोग करेगा ,तो *गरीब और गरीब बनता जाएगा ,अमीर और अमीर बनता जाएगा* इसलिए मोदी जी की सरकार चाहे भ्रष्टाचार ना करने का वादा करती हो परंतु वर्तमान समय को देखा जाए तो लोगों ने झूठ बोलकर सिफारिश करवा कर अपने आप को गरीब बताकर लाभ लेने का प्रयास किया है..... जो सरासर गलत हैको घर मिले,यह सरकार का दावा है और वादा भी है
हम भी बेशक चाहते हैं कि भारत वर्ष का हर व्यक्ति अपने सिर के ऊपर पक्की छत हो और इज्जत की जिंदगी जिए
"माननीय प्रधानमंत्री महोदय द्वारा पूरे भारतवर्ष में प्रधानमंत्री आवास योजना कार्यक्रम चलाया जा रहा है"
जिसके तहत जगह-जगह पक्के मकानों को बनाने का कार्य प्रगति पर है परंतु क्या यह सपना वास्तव में जरुरतमंदों तक जा रहा है और क्या हकीकत में गरीब आदमी के पास रहने के लिए मकान नहीं है ...? जो सरकार उसे पक्का मकान दिला रही है ।
एक पत्रकार होने के नाते मेरी कुछ कुंठाएं हैं जो मैं आप सभी के समक्ष रखना चाहता हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी इस कुंठा को शांत करने के लिए आप मेरी सहायता करेंगे
सर्वप्रथम प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हर गरीब आदमी को अपना एक घर मिलेगा जिसके लिए सरकार द्वारा कुछ रकम जो हितग्राही के सीधे खाते में जमा कर दी जाएगी ।
उसके पश्चात अलग-अलग समय में पूरी राशि को मकान बनाने के लिए हितग्राही को दिया जाएगा"यहां तक तो सारी बात समझ में आती है कि मकान बनाने के लिए जो भी राशि आवंटित की जाएगी"
हितग्राही को उसके खाते के माध्यम से प्राप्त होगी परंतु क्या यह पैसा वास्तव में मकान बनाने के काम में आएगा ,इस बात की गारंटी कौन लेता है ।
एक समय था जब प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर इंदिरा "गांधी कुटीर योजना" चलती थी और उस कुटीर के माध्यम से ग्राम पंचायतों में गरीब लोगों को घर बनाने के लिए "महज कुछ हजार रुपए" दिए जाते थे और उसमें भी भ्रष्टाचार का आरोप लगता था,परंतु वर्तमान सरकार ने तो कुछ हजार से हटाकर "ढाई लाख रूपये" तक गरीब लोगों को दे दिए हैं परंतु क्या गरीब की परिभाषा आप बता सकते हैं ।
वास्तव में गरीब उस व्यक्ति को कहा जा सकता है जिसके पास सरकारी मापदंड के आधार पर BPL का कूपन या अंत्योदय योजना के अंतर्गत कूपन हो* और उस व्यक्ति की निजी कोई संपत्ति ना हो ,ऐसे व्यक्ति को घर की व्यवस्था सरकार करवा रही है परंतु मैं यह जानना चाहता हूं कि आज के वर्तमान समय में BPL का राशन कार्ड 100 में से 40% गरीब जो वास्तविक है और 60% BPL राशन कार्ड उन लोगों के पास में है जो गरीब नहीं है
"जो राजनीति में हस्तक्षेप रखते हैं ,पैसा खर्च करना जानते हैं ,उन लोगों का BPL राशन कार्ड बना हुआ है" और "इस प्रकार के राशन कार्डों को भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ हुआ है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत जो राशि *हितग्राही को दी जा रही है वह हितग्राही द्वारा मकान बनाने तक सही इस्तेमाल किया जाएगा इस बात की कोई गारंटी नहीं है।"
"प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ऐसे ऐसे लोगों ने अपने आप को गरीब दर्शा रखा है जिनके पास में हेक्टेयर जमीन है, अपने खुद के पक्के मकान हैं ,ऐशो-आराम की जिंदगी है ,भोग विलासिता के सारे साधन मौजूद हैं उसके बावजूद भी प्रधानमंत्री आवास योजना में उनके खाते में पैसा आ गया है।"
यह कहां तक सही है...?
अगर शासन द्वारा निर्धारित मापदंड में BPL का राशन कार्ड बनाया जाता है तो मेरा यह प्रश्न है कि ऐसे लोगों को पात्र मान कर उन्हें मकान के लिए राशि क्यों दी गई जो पहले से मकान या भोग विलासिता के साधन रखते हैं
सरकार के साथ भ्रष्टाचार करके सरकार को धोखे में रखकर ,अपने रसूख या जान पहचान का फायदा लेकर BPL का कार्ड बनवाना ,कहां तक न्यायोचित है....
इस प्रकार से अगर हर व्यक्ति अपने प्रभाव का उपयोग करके सरकार की योजना का दुरुपयोग करेगा ,तो *गरीब और गरीब बनता जाएगा ,अमीर और अमीर बनता जाएगा* इसलिए मोदी जी की सरकार चाहे भ्रष्टाचार ना करने का वादा करती हो परंतु वर्तमान समय को देखा जाए तो लोगों ने झूठ बोलकर सिफारिश करवा कर अपने आप को गरीब बताकर लाभ लेने का प्रयास किया है..... जो सरासर गलत है।