6 साल में दर्शन दिए , महाभारत कालीन प्राचीन मंदिर श्री शंखोद्वार महादेव ने

Neemuch 09-05-2018 Devotional

कुंडला खानखेड़ी से मात्र 4km पर स्थित प्राचीन मंदिर का इतिहास.....
अकाल मृत्यु वालो का होता है तर्पण.....

रामपुरा। गांधी सागर जलाशय व चंबल नदी की गोद मे स्थापित महाभारत कालीन प्राचीन मन्दिर शंखोद्वार महादेव का मंदिर पिछले 6 सालों से पानी मे डूबा था जो अब खाली हुआ है ज्ञात रहे कि जब बांध का पानी अपनी पूरी लेवल पर होता है तो मन्दिर पर करीब 5 फिट पानी रहता है जबकि जमीन से मन्दिर की ऊंचाई भी 20 फिट के करीब है पिछले 6 साल से गांधी सागर बांध का पानी टस से मस नही हो रहा था मगर इस साल पानी लगातार घट रहा है जिसके चलते ये ऐतिहासिक मन्दिर भी पानी से बाहर आगया बताया जाता है कि शंखोद्वार महादेव मंदिर में अकाल मृत्यु होने वाले मृत आत्माओं का तर्पण होता है ओर उनको मुक्ति मिलती है जब भी यह मंदिर पानी से बाहर आता है देश के कोने कोने से लोग असमय काल की ग्रास बने अपने परिजनों के मोक्ष की कामना लेकर यहां आते हैं और विधि विधान से उनका पिंड दान करते है बताया जाता है कि यहां महाभारत काल मे पांडवों ने अज्ञात वास बिताया था और उसी समय यहां पर भीम ने शंखासुर नामक राक्षस का वध किया था तब शंखासुर ने पांडवों से वरदान मांगा था कि आपके साथ मुझे भी इतिहास में याद किया जाए तब पांडवों ने यहां एक शिवलिंग की स्थापना की ओर उसका स्थान का नाम शंखोद्वार रखा ओर उसको वरदान दिया था कि अकाल मौत मरने वाली आत्माओं को यहां के सिवा कहि मोक्ष नही मिलेगा जिसका वर्णन महाभारत में भी आता है बताया जाता है यह शिवलिंग 6 माह जमीन के अंदर ओर 6 माह जमीन से एक फिट बाहर रहता है जो साक्षत चमत्कार है अविभाजित मन्दसौर जिले में बांध बनने से पहले यहाँ गंगामाता शंखोद्वार महादेव के नाम से विशाल मेला लगता था जिसकी ख्याति दूर दूर तक थी मगर आजादी के बाद 1950 में गांधीसागर बांध बनने के बाद हजारो गांव उजड़ गए और उसी के साथ यह स्थान भी इतिहास के पन्नो में गुम होगया तब से अब तक यहां जब जब भी यह मंदिर पानी से बाहर आता है तो कई भक्त गण दर्शन करने आते हैं।