अलविदा कर गऐ

Neemuch 13-05-2018 National

विश्व विख्यात साहित्यकार, राष्ट्रीय कवि, पूर्व सांसद बालकवि बैरागी का दुःखद निधन......

रिपोर्ट- लोकेन्द्र फतनानी

नीमच। विश्व विख्यात साहित्यकार, राष्ट्रीय कवि, पूर्व सांसद आदरणीय बालकवि बैरागी जी जाना-माना एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपने नाम के साथ-साथ नीमच जिले को भी अपने विख्यात कर दिया। स्व.श्री बालकविजी बैरागी अंतराष्ट्रीय कवि के रूप में नीमच का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके थे। उनका मृदुभाषी, सरल ह्रदय एवं हंसमुख मस्त मौला व्यक्तित्व के धनी स्व. दादा श्री बालकविजी बैरागी अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका जन्म जन्म १० फरवरी १९३१ को मंदसौर जिले की मनासा तहसील के रामपुर गाँव में हुआ था। यू तो माता पिता ने आपको नन्दराम दास था, किन्तु पूर्व केंद्रीय मंत्री डाक्टर कैलाशनाथ काटजू ने छोटी सी उम्र में आपकी कविताओं को सुनकर बालकवि बैरागी जी दिया। श्री दादा ने विक्रम विश्वविद्यालय से हिंदी में एम्.ए. किया था। आपने साहित्य के साथ राजनीति में भी सक्रिय रह कर अपना परचम लहराया। मध्यप्रदेश में विधानसभा से दो बार मंत्री पद पर रहे। वहीं राजीव गांधी के  प्रधानमंत्री कार्यकाल मे सांसद भी रहे। वे राज्यिसभा के सदस्यद रहे। आपका जीवन बचपन से ही संघर्ष शाली रहा। आपके जीवन मे मा का खास स्थान रहा। मां अनपढ़ थी, फिर भी दादा के जीवन पर अमित छाप छोड़ी। आपने अपने जीवन की पहली कविता 9 वर्ष की उम्र में लिखी। आपने अपना पूरे जीवन भर कांग्रेस के सच्चे सिपाही रहे, मगर आपका  सभी पार्टीयो में अलग व खास स्थान था। सरस्वाती पुत्र बैरागी को कई सम्माोनाें से नवाजा गया था। कवि बालकवि बैरागी काे मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा कवि प्रदीप सम्मान भी प्रदान‍ किया गया। गीत, दरद दीवानी, दो टूक, भावी रक्षक देश के, आओ बच्चों गाओ बच्चों श्री बैरागी की प्रमुख रचनाएं हैं। दादा आज नीमच में कांग्रेस नेता बाबू सलीम के यहां एक कार्यक्रम में सम्मिलित होकर 3:30 बजे वापस मनासा पहुंचे। और कुछ समय आराम करने के लिए अपने कमरे में गए। जब शाम 5:00 बजे जब उन्हें चाय के लिए उठाने लगे तो सभी स्तम्भ रह गए..... बैरागी दादा अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंाने शाम 5 बजे अंतिम सांस ली। वे 87 वर्ष के थे। और अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए। जैसे ही बैरागी दादा के देहांत की खबर अंचल में फैली पूरे अंचल में शोक की लहर दौड़ गई।