भगवान को पाने के लिए विवेक ज्ञान के साथ विश्वास की जरूरत है - पं. शंकर शास्त्री

Neemuch 20-05-2018 Regional

भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित.....

रिपोर्ट- मो. आरिफ शेख

 नीमच। भगवान को पाने के लिए विवेक ज्ञान के साथ विश्वास की जरूरत है तामस प्रवृत्ति त्यागने से ही वंष वृद्धि होती है भागवत से प्रेत आत्मा का मोक्ष हो जाता है क्रोध, मोह, माया के त्याग के बिना संसार का भव सागर पार नहीं हो सकता है। कन्या बिगड़ जाए तो पूरे खानदान की बदनामी होती है। पुत्री को अच्छे संस्कारों, के साथ सेवा, आदर की सीख माताएं देती हैं, तभी बहुएं बेटी के रूप में ससुराल को स्वर्ग बना सकती है। स्त्री माता पिता, भाई, पति, पुत्र के साथ अपनी अलग-अलग भूमिका का निर्वाह करती है। यह बात पं. शंकर शास्त्री ने कही वे श्रीमती गीताबाई, भगवतीदेवी, गोपाल, कैलाशचन्द्र, संतोशदेवी शर्मा परिवार द्वारा अपने पूर्वजों की स्मृति में कृष्ण भक्त परिवार द्वारा सिद्धेश्वर महादेव 14/4, विकास नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस 18 मई शुक्रवार को दोपहर 3 से 6  बजे बोल रहे थे। उन्होंने कहां कि जहाॅ  विश्वास होता है, वहाॅ सफलता अवश्य प्राप्त होती है। हर जीवों में परमात्मा का वास होता है। संत एकनाथ ने कुत्ते में भी जीव को देखा था जो मृत्यु के आलिगन को तेयार रहते है, उन्हें मृत्यु के समय कष्ट नहीं होता है। कलियुग में राम नाम के सुमिरन से ही बेड़ा पार हो जाता है। श्रद्धा भाव हो तो प्रभु दर्शन देते है राजा भगीरथ ने तपस्या कर गंगाजी को धरती पर लाये थे। पांच पाण्डवों ने सत्य के साथ युद्ध लड़ा तो अकक्षुणी सेना को भी पराजित कर दिया था। जीत सदा सत्य की होती है। संसार में व्यक्ति मृत्यु तथा ईश्वर को याद रखे तो उसका कल्याण होता है। भगवान को मूर्ति  के रूप में  नहीं उसके स्वरूप के रूप में याद करना चाहिए। संसार में मनुष्य अकेला जन्म लेता है और संसार में वह अकेला ही जाता है। इसलिए मनुष्य पाप नहीं करे और पुण्य कर जीवन का कल्याण करें। साबुन से शरीर, भागवत से आत्मा और मन पवित्र होता है। यदि हम सुख में भगवान को याद करें तो दुख नहीं आते है । महाराज श्री ने कहा कि बेटा जब रोता है तो मां की ममता प्रकट हो जाती है। आत्मा ने मां को सहारा दिया तो अमर हो गई । परमात्मा में मां लगा तो परमात्मा बना। ईश्वर को जन्म देने वाली भी मां है भगवान से भी बड़ा पद मां का होता है कथा वह जो जीवन में सघर्ष के साथ जीवन जीना सिखा दे । अभाव को आदत बना ले तो जीवन में सुख ही सुख मिल जायेगा ज्ञान भक्ति वैराग्य को छोड़कर संसार सुख चाहता है जो संभव नहीं है कथा में उपस्थित श्रद्धालु स्वर्ग के बिन्दु से कम नहीं है कथा श्रावक केवल सुने ही नहीं उस पर आत्मचिंतन करें । मानव ने भजन करने के लिये जन्म लिया लेकिन भजन नहीं करने के कारण वह दुखी है यह दर्द कथा बयां करती है मैनें भजन नहीं किया यह पीड़ा भी भजन है, भजन करना चाहिए। यह संकल्प भी भजन है। बचपन से ध्रुव प्रहलाद की तरह तपस्या करोगे तो ही कुछ कर पाओगे । मानव से झुठ, धोखा, अवगुण हो जाए कथा इसके विरोध में रहती है। घबराएं नहीं लेकिन यह आदत नहीं बन जाए, अवगुण को शीघ्र भुला दें त्याग दें । अपराध हो जाए तो उसे तिनके की तरह फेंक दें । भागवत कथा आरती पौथी पूजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे। इस अवसर पर महाराज श्री ने मेरे लाड़ले गणेश........... कौन कहता है भगवान आते नहीं, हम मीरा की तरह बुलाते नहीं......... भगत के वश में है भगवान........  आदि भजनों की प्रस्तुति दी। आरती में गोपाल शर्मा (सीसीआई), कैलाश शर्मा, भूपेन्द्र गौड़ (बाबा) पवन शर्मा (अग्निबाण), राघवेन्द्र शर्मा, मनीश शर्मा, शिवम राज पुरोहित, धर्मेन्द्र शर्मा निम्बाहेड़ा, पण्डित राकेश शास्त्री, पं सन्तोष पुरोहित (मनासा), पं आशीष शर्मा (अजमेर), कमल, जय कुमार धीर, शोभित धीर, लक्ष्मण ढलवानी, केदारेश्वर पुरोहित सरवानिया महाराज, अक्षय पुरोहित, जाजू कालेज, पी.सी. जैन, श्याम सुन्दर पंण्डित, लक्ष्मण सेन, प्रमोद पुरोहित, गौरव कुमार, पप्पूसिंह दवेड़ा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया । 

ये थे धार्मिक प्रसंग-
भागवत कथा में महाराज श्री ने जड़ भरत, अजामिल, एवं नृसिंह जयन्ति आदि प्रसंगों का वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व प्रतिपादित किया । 

कथा में आज कृष्ण जन्मोत्सव-
कथा में आज शनिवार 19 मई को भगतवाचार्य पं. शंकर शर्मा शास्त्री प्रहलाद, राम चरित्र एवं कृष्ण जन्म आदि विषयों पर प्रकाश डाला  जायेगा ।