गोवंश की रक्षा बिना राष्ट्र का विकास नहीं- पं.शंकर शास्त्री
भगवान कृष्ण की माखन मटकी फोड़ लीलाओं ने मोहा श्रोताओं का मन
रिपोर्ट- मो.आरिफ शेख़
नीमच। नटखट पर नंदलाल की मनमोहन लीलाओं का सूनकर श्रद्धालुओं का मन श्री कृष्ण के चरणों में रम रहा था भागवत ज्ञान गंगा का जहां माखन मटकी फोड़ की बाल लीलाओं को सुनकर कृष्ण भक्त उत्साह के साथ भक्ति रस में खुब डूबे । भगवान कृष्ण की माखन चोरी मटकी फोड की कथा सुनाने के साथ कृष्ण द्वारा गोपियों के आग्रह पर माखन चोरी का वृंतात सुनाया। यह बात पं.शंकर शर्मा शास्त्री ने कही वे श्रीमती गीताबाई,भगवतीदेवी,गोपाल,कैलाशचन्द्र,संतोषदेवी शर्मा परिवार द्वारा अपने पूर्वजों की स्मृति में कृष्ण भक्त परिवार द्वारा सिद्धेश्वर महादेव 14/4, विकास नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस 20 मई रविवार को दोपहर 3 से 6 बजे बोल रहे थे। उन्होंने कहां कि गोवंष की रक्षा बिना राष्ट्र का विकास नहीं यशोदा का अंहकार था तो कृष्ण नहीं बधे प्रेम से श्रीकृष्ण भक्तों के बधन में बंध जाते है कर्मो का फल 100 जन्म बाद भी मिलता है इसलिए मनुष्य को सदकर्म करना चाहिए ऐसा पुण्य कर्म करो जो सद्गुरू भगवान को अर्पण होता है अच्छे पुण्य कर्मो का फल से श्रीमद भागवत श्रवण का अवसर मिलता है, मनुष्य जन्म अनमोल है। वृन्दा भक्ति में प्रवेश की श्रेष्ठ आयु 5 वर्ष होती है। पाप पुण्य से करता है साॅंप के काटने से बच सकते है पाप के काटने से नहीं बच सकता है, भक्तों की रक्षा भगवान करते हे गाय की दुर्दशा चिंतन का विषय है। गाय विश्व की माता है इसे कभी पशु नहीं कहना चाहिए। कृष्ण गोकुल में रहे तब तक शस्त्र नहीं उठाया, मिले हुवे कपड़े नहीं पहने थे ओर गाय का आादर बढ़ाया है आज गाय की कौन सेवा कर रहा है चिंतन का विशय है गाय की रक्षा नहीं होना चिंतन का विषय है लोग झुककर चरण वंदन करना ही भूल गए है विचारणीय विषय है। भगवान कृष्ण के घर गायों की कोई कमी नहीं थी और न ही माखन की कोई कमी इसके बावजूद गोपियों के अटूट प्रेम के चलते भगवान कृष्ण माखन चोर कहलाए। महाराज श्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने जब यशोदा माॅं को माटी खाने के बहाने मुख में ब्रमाण्ड का दर्शन कराया। उसके बाद यशोदा को अहसास हो गया कि उनका लल्ला कोई साधारण नहीं ये परम ब्रहम का अवतार है। महाराज श्री ने प्रवचन में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोर्वधन को इन्द्र देवता के कोप से बचाया एवं इन्द्र के अंहकार को नष्ट किया। कथा में भगवान कृष्ण के रूप में बालिका खुशी नाथ ने आर्कशक स्वांग का अभिनय प्रस्तुत किया। कथा के दौरान जैसे बालकृष्ण का प्रवेश हुआ तो मेरा दिल दिवाना हो गया वृन्दावन की गलियों में....जय जय राधे राधे श्याम जय जय वृन्दावन धाम......... श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट बिराज रहियो....ऐसे कोई धार्मिक भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालुओं ने दर्शनकर उनका पूजन किया और पुरी श्रद्धा के साथ खुब नृत्य किया। पाॅंचवे दिन भक्ति भागवत पांडाल श्रद्धालुओं से खचा-खच भरा नजर आया। लोग धार्मिक सत्संग के नियमों को भूल रहे है। उन्होंने सुकदेवमुनि, मधुमंगल, ग्वालपाल, श्रीधामा, कंसवध, वृन्दावन, मथुरा, ग्वालपाल लीला, गाये, यमुना, सांप, पाप, ब्रहमा, कार्तिक, गोपष्टमी पर्व, गोकुल, दाऊ बलराम, यशोदा, चंदा मामा, अगस्त ऋषी, धेनुकासुर, अकासूर, बगासूर, इन्द्रदेव, गिरीराज पर्वत, मानसी गंगा, मटकी फोड़, माखन रास लीला, भलाई, घुंघट, लाज शर्म, आदि धार्मिक प्रंसगों का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्व प्रतिपादित किया। महाराज श्री ने जियो श्याम लाला पीली तेरी पगडी रंग काला...यशोमति मय्या से बोले नंदलाला राधा क्यु गौरी में क्यु काला, लाडला कन्हैया काली कमली वाला...छोटी छोटी गय्या छोटे छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल....इस पापी युग में कोई नहीं गोमाता का रखवाला गोविन्दा गौपाला जो सबको दुध पिलाती है उसका खुन बहाया....। हे बांके बिहारी रहे ध्यान तुम्हारे चरणों...., आदि भजनों पर श्रद्धालु झुम उठे थे कथा महाआरती भागवत पौथी पूजन का लाभ गोपाल शर्मा (सीसीआई), कैलाश शर्मा, भूपेन्द्र गौड़ (बाबा), पवन शर्मा (अग्निबाण), राघवेन्द्र शर्मा, मनीश शर्मा, कमल आंजना, रवि त्रिपाठी, दीपक वर्मा, लीलाधर नरेड़ी, श्री नवीन गर्ग, शिवम राज पुरोहित, धर्मेन्द्र शर्मा निम्बाहेड़ा, पण्डित राकेश शास्त्री, पं सन्तोष पुरोहित (मनासा), पं आशीष शर्मा(अजमेर) कमल, जय कुमार धीर, शोभित धीर, लक्ष्मण ढलवानी, केदारेश्वर पुरोहित सरवानिया महाराज, अक्षय पुरोहित, जाजू कालेज, पी.सी. जैन, श्याम सुन्दर पंण्डित, लक्ष्मण सेन, प्रमोद पुरोहित, गौरव कुमार, पप्पूसिंह दवेड़ा सहित बड़ी संख्या में आदि गणमान्य ने लिया । आरती के बाद प्रसादी के रूप में श्रद्धालुओं को वितरित किया गया।
गिरिराज पर्वत पूजा उत्सव मनाया-
भागवत कथा में जब पं.शंकर शास्त्री ने गिरिराज पर्वत इन्द्रदेव पूजा उत्सव का प्रसंग बताया ओर बरस बरस म्हारा इन्दर राजा भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भाव विहल हो गए महिलाओं ने महाराज भक्ति में भक्ति नृत्य किया । भागवत व्यास पीठ के सम्मुख 56 भोग लगाया गया ।
सोमवार को भागवत में कृष्ण-रूकमणी विवाह-
कथा में भगवताचार्य महाराज श्री द्वारा सोमवार,21 मई को महारास एवं श्रीकृष्ण-रूकमणी विवाह प्रंसग का श्रद्धालुओं को वर्णन सुनाया जायेंगा । साथ ही मनमोहक झांकी के माध्यम से भी कृश्ण-रूकमणी प्रंसग की प्रस्तुती होगी कथा प्रतिदिन रात्रि दोपहर 3 से सांय 6 बजे तक प्रवाहित हो रही है।