फाटक है या मौत का स्टॉप आखिर क्यों तोड़ देते हैं कुछ लोग नियम यहां जल्दी में

Jaora 26-05-2018 Regional

रिपोर्ट- कीर्ति वर्रा

जावरा। जहां एक तरफ एंबुलेंस हाईवे पर तेज रफ्तार से चलती हुई नजर आती है ताकि आस-पास वाले हट जाए एंबुलेंस को आगे निकलने दे। लेकिन एंबुलेंस की तेज रफ्तार क्या सिविल हॉस्पिटल जाकर ही अपना स्टाफ लेती है ? शायद नहीं क्योंकि बहुत सी गाड़ियां अपना स्टाफ लेती है। फाटक लग जाने के बाद लेकिन यह एक कड़वा सच है। जहां एक तरफ स्पीड से एंबुलेंस तेज चलकर मरीज की जान बचाना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ फाटक लग जाने के बाद मरीजों की सांसे ऊपर नीचे होती है। वह इंतजार करती है उनकी नजरें फाटक खुल जाने की, लेकिन यहा पर आम जनता की परवाह ना करते हुए कुछ नेताओं की आंखें खुली और कान बंद है, फिर चाहे फाटक लग जाने के बाद आमजन बद्दुआ ही क्यों ना दे रहे हो। लंबे समय से चला आ रहा यह सिलसिला आखिर कब होगा खत्म ? आखिर कब मिलेगी जनता को राहत ? क्योंकि मौसम चाहे कैसा भी हो, अब तक आम जनों ने तकलीफ ही देखी है इस फाटक को लेकर जैसे कि गर्मी में  धूप में आमजन तेज गर्मी को लेकर करते रहें फाटक खुलने का इंतजार और फिर बारिश में फाटक लग जाने के बाद भीगने को भी तैयार रहते हैं। आमजन की ऐसी कई समस्याएं हैं। आम जनता कि जिसका निराकरण अभी तक नहीं हो पाया। ऐसी कई तस्वीरें आपको चौका देगी। जैसे कि फाटक लगने के बाद आमजन तोड़ देते हैं, नियम आखिर फाटक लगने के बाद किस तरीके से एक मरीज तड़पता रहता है, एंबुलेंस के अंदर.....