सिंधी बाल संस्कार शिविरों में सीख रहे बच्चे विविध विधाएं

Bhilwara 26-05-2018 Regional

अच्छे संस्कारों से ही बनती है रिश्तों की मर्यादायें – नथरानी

रिपोर्ट- धर्मेन्द्र कोठरी

भीलवाड़ा। भारतीय सिंधु सभा के तत्वावधान में नगर में चल रहे विभिन्न ग्रीष्मकालीन पंचम पंद्रह दिवसीय सिंधी बाल संस्कार शिविरों में सिंधी समाज के बालक-बालिकाएं सिंधीयत दर्शन के ऊपर आधारित अनेकों प्रकार की विधाएं सीख रहे हैं। जिला मीडिया प्रभारी पंकज हेमराजानी ने बताया कि बापूनगर स्थित पूज्य झूलेलाल मंदिर प्रांगण में चल रहे बाल संस्कार शिविर का शुभारम्भ शनिवार को भारतीय सिंधु सभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भगवानदास नथरानी व जिलाध्यक्ष वीरूमल पुरसानी ने दीप प्रज्वलित करके किया। इस अवसर पर बालक-बालिकाओं को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी नथरानी ने कहा कि अच्छे संस्कारों से ही जीवन में रिश्तों की मर्यादा बनी रहती है। उन्होंने कहा कि बच्चे शिक्षा के प्रति जागृत होकर अपने माता-पिता की सेवा करें तथा गुरुजनों को भी आदर भाव देवे साथ ही परिवार के अन्दर सभी सदस्य आपस में सिंधी भाषा में बातचीत करके बच्चो से निरंतर सीखी हुई चीजों का अभ्यास करायें। जिलाध्यक्ष पुरसानी ने कहा कि भारतीय सिंधु सभा द्वारा प्रतिवर्ष नगर में बाल संस्कार शिविरों का आयोजन हो रहा है जिनसे बच्चे सुसंस्कारित हो रहे हैं। 
कार्यक्रम में नन्हे-मुन्ने बालकों ने सिंधी लोकगीतों पर आधारित धार्मिक भजन इत्यादि प्रस्तुत किये। शिविरों के दौरान साहित्य संकलनकर्ता गुलाबराय मीरचन्दानी ने वरुणावतार झूलेलाल, संत कंवरराम, अमर शहीद हेमू कालानी के जीवन चरित्र एवं सिंध के बारे में जानकारी देने वाली छायाचित्र प्रदर्शिनियां भी लगाई। कार्यक्रम में सिंधी समाज के रमेश सबनानी, ईश्वर कोडवानी, तुलसीदास नथरानी, ताराचंद रामचंदानी, पार्षद मीना लिमानी, कैलाश कृपलानी, पूर्व पार्षद कृपालदास लखवानी, इंद्रा तोलानी, परमानंद गुरनानी, जितेंद्र रंगलानी, राजेश माखीजा, पं.चंदन शर्मा, दौलत सामतानी, पप्पू भगत, आसनदास लिमानी, किशोर सोनी, हरीश मनवानी सहित अनेकों गणमान्यजन उपस्थित थे। गौरतलब है कि सिंधी भाषा, कला, संस्कृति, साहित्य, लोकगीत-संगीत, नृत्य, खानपान, पहनावा, व्रत त्यौहार, नैतिक मूल्य, संत महात्माओं व महापुरुषों के जीवन चरित्रों के विस्तृत जानकारी देने के उद्देश्य से ही नगर में इन विभिन् संस्कार शिविरों का आयोजन संस्था द्वारा प्रतिवर्ष किया जा रहा है।