अन्नदाता मुश्किल में, भाजपा सरकार नींद में- श्रीमती बंसल

Neemuch 27-05-2018 Regional

सभी फसलों के भाव गिरने से किसानों में हताशा का माहौल…..

रिपोर्ट- ब्यूरों डेस्क
नीमच। क्षेत्र का किसान केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार की दोगली नीतियों का शिकार हो रहा है। क्षेत्र में उत्पादित होने वाली सभी कृषि आदानों के भाव गिर चुके हैं। किसान हताश, निराश और बेबस हो गए हैं। भाजपा सरकार की कुनीतियां किसान को कंगाल कर रही है।
यह बात जिला पंचायत सदस्य एवं कांग्रेस नेत्री श्रीमती मधु बंसल ने कही। उन्होने कहा कि भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह खुद को किसान का बेटा कहते हुए खेती को लाभ का धंधा बनाने का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत में खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। हालत यह है कि जिले में ७६ प्रकार की जिंसों का उत्पादन होता है, और सभी के भाव गिरे हुए हैं। 
उन्होने कहा कि किसानों को मैथी, धनिया, मूंगफली, तारामीरा, लाल तुवर सभी जिंसों में प्रति क्विंटल ३ से ५ हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी सोयाबीन के भाव ४५०० रुपये प्रति क्विंटल तक थे। भाजपा सरकार के आते ही सोयाबीन के भाव २७०० से ३७०० रुपये प्रिति क्विंटल ही रह गए।कलौंजी के भाव दो वर्ष पहले ३० हजार रुपये प्रति क्विंटल थे जो अब ८ हजार ६०० रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इसी तरह इसबगोल के भाव १३ हजार रुपये प्रति क्विंटल तक थे जो अब ७,८०० रुपये प्रति क्विंटल तक रह गए हैं। जबकि लागतें १० से १५ प्रतिशत बढ़ी है।
अफीम काश्तकारों को २१ करोड़ से अधिक का नुकसान
श्रीमती बंसल ने कहा कि मध्यप्रदेश में केवल मंदसौर, नीमच एवं जावरा क्षेत्र में ही अफीम काश्त होती है। इस क्षेत्र में करीब २९ हजार लाइसेंसी कृषक कड़ी मेहनत के साथ अफीम की खेती करते हैं। एक माह पहले कृषि मंडी की खुली नीलामी में पोस्ता ६१,७०० रुपये प्रति क्ंिटल तक बिक रहा था। केंद्र की मोदी सरकार ने किसान हितों की परवाह किए बगैर टकीं से सस्ता एवं गुणवत्ताहीन पोस्ता आयात करवा लिया। नतीजा यह हुआ कि खुली नीलामी में पोस्ता के भाव ५४,००० रुपये तक ही रह गए है। इस तरह प्रत्येक किसान को करीब ७,७०० रुपये (सभी अफीम उत्पादक किसानों को २१ करोड़ रुपये से अधिक) का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
श्रीमती बंसल ने कहा कि शिवराजसिंह सरकार की भावांतर योजना और समर्थन मूल्य पर खरीदी के मामलों में अन्नदाता बेहद परेशान है। समर्थन मूल्य पर चना, सरसो, मसूर बेचने आने वाले किसानों कड़ी धूप में घंटो इंतजार करना पड़ रहा है। पूरी खरीदी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है। जबकि लहसून और प्याज के भाव किसानों को रुला रहे हैं। सरकार ने लहसून-प्याज के लिए भावांतर योजना लागू की है, लेकिन किसानों की लहसून १०० से १५०० रुपये क्विंटल तक बिक रही है। अधिकांश किसानों को ५०० से ७०० रुपये क्विंटल का ही भाव मिल पा रहा है। जबकि लहसून की लागत १८०० रुपये क्विंटल से अधिक आती है। शिवराज सरकार किसानों की इस समस्या से बेखबर होकर कंभकणीं निंद्रा में सोयी हुई है।
श्रीमती बंसल ने कहा कि भाजपा सरकार का बाजार पर कोई नियंत्रण नहीं है। उत्पादक किसानों की लहसून, प्याज, दालें-तुअर,उड़द, मूंग कोढ़ियों के दाम बिक रहे हैं, लेकिन खेरची में इनके भाव तीन गुने से अधिक हैं।  मंडियों में किसानों की उपज सस्ते में बिकने के बावजूद आम लोगों को यह महंगे दामों पर खरीदना पड़ रही है। कुल मिला कर भाजपा सरकार की कुनीतियोें ने किसान से लेकर आमजन तक को बाजार में बिचौलियों के हवाले कर दिया है।