बाहेती के 107-116 के बांड भरने का मामला अब कार्यपालन मजिस्ट्रेट जीरन के समक्ष होगा विचारण
Neemuch 01-06-2018 Regional
रिपोर्ट- ब्यूरों डेस्क
नीमच । किसान आंदोलन को लेकर कार्यपालन मजिस्ट्रेट जीरन द्वारा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करने व धारा 107-116 के बांड भरने के संबंध में युवा कांग्रेस नेता तरुण बाहेती द्वारा जिला एवं सत्र न्यायालय में एक पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की गई थी । माननीय न्यायालय ने उक्त याचिका में उठाये गये आधारों को जिला न्यायालय ने पूरे मामले के जांच व साक्ष्य की विषय वस्तु माना है। इस कारण कार्यपालन मजिस्ट्रेट जीरन के समक्ष दोनों पक्ष प्रशासन व याचिकाकर्ता की साक्ष्य होने के बाद ही बांड भरने या नहीं भरने का निर्णय हो सकेगा। अब यह मामला कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के समक्ष चलेगा। युवक कांग्रेस के नेता तरुण बाहेती ने बताया कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट जीरन से उन्हें 107 -116 सीआरपीसी के तहत सूचना प्राप्त हुआ था, तरुण बाहेती द्वारा उक्त सूचना पत्र का जवाब देते हुए उसे निरस्त कराने की मांग की गई थी तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष अपने अधिवक्तागण महेश पाटीदार व युगलकिशोर बैरागी के माध्यम से पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की । जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने याचिका का निराकरण करते हुए निष्कर्ष दिया कि पुनरीक्षण याचिका में जो तथ्य उठाए गए हैं वो साक्ष्य व जांच की विषयवस्तु है। जो जांच के दौरान ही देखा जा सकता है अभी जांच भी प्रारंभिक स्टेज पर है एवं मंदसौर एवं नीमच जिले में 6 किसानों की मृत्यु हुई और जिले में स्थिति भयावह है तथा जांच प्रारंभिक स्टेज पर होने से याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती । युवक कांग्रेस नेता तरुण बाहेती की याचिका का मामला अब कार्यपालक मजिस्ट्रेट जीरन के समक्ष जांच के लिए जाएगा। श्री बाहेती ने कहा कि उन्होंने कोई शांतिभंग नहीं की है । अब विचारण न्यायालय में थाना प्रभारी व अन्य साक्षियों की गवाही के पश्चात मैं अपनी ओर से भी साक्ष्य प्रस्तुत करूंगा। संपूर्ण मामले का विचारण वर्तमान में कार्यपालन मजिस्ट्रेट जीरन के समक्ष चलेगा।
अधिवक्ता युगलकिशोर बैरागी ने बताया कि साक्ष्य एव जांच की विषयवस्तु निचले न्यायालय में पुलिस को यह साबित करना होगा कि किसान आंदोलन में बाहेती की भूमिका क्या थी। तथा किन आधारों पर बाहेती को धारा 107-116 का नोटिस दिया गया। इसके लिए निचली अदालत में संबंधित पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज होंगे। वहाँ से फैसला आने के बाद ही मामले में कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।