नाबालिग दुष्कर्म केस: दोषी पाए जाने पर आसाराम को हो सकती है कम से कम 10 साल की कैद, फैसला आज
जोधपुर में 2100 जवान तैनात, जज को दी जा रही विशेष सुरक्षा....
साढ़े चार साल से जोधपुर जेल में बंद आसाराम की तरफ से 12 जमानत याचिकाएं लगीं, लेकिन सभी खारिज....
आसाराम के खिलाफ रेप, गिरोह बना कर दुष्कर्म और यौन शोषण के लिए उनका अवैध व्यापार करने जैसे आरोप हैं....
रिपोर्ट- ब्यूरों डेस्क
जोधपुर/ शाहजहांपुर.आसाराम मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में विशेष अदालत से बुधवार को फैसला आने वाला है। फैसला सुनाने वाले जज मधुसूदन शर्मा सेंट्रल जेल पहुंच चुके हैं। साढ़े चार साल से जोधपुर जेल में बंद अासाराम के खिलाफ अपनी ही शिष्या से दुष्कर्म करने का अारोप है। पॉक्सो एक्ट के तहत ये पहला बड़ा फैसला होगा। केस के फैक्ट से लगता है कि आसाराम को कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है, प्रावधान उम्रकैद तक का है। फैसले को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजस्थान, गुजरात और हरियाणा को हिदायत दी है कि किसी भी सूरत में हिंसा नहीं होनी चाहिए। इन राज्यों में आसाराम के अनुयायी काफी संख्या में हैं।
5 साल केस के, 5 आरोपियों का फैसला इन 5-5 तथ्यों से समझें....
दोषी तय होने की उम्मीद क्यों ?
1) पीड़िता न डिगी न डरी, 27 दिन की लंबी जिरह में 94 पेज में दिए बयान।
2) जांच अधिकारी ने 60 दिन तक हर धारा पर दिए ठोस जवाब, 204 पेज के बयान।
3) पीड़िता को बालिग साबित करने की हर मुमकिन कोशिश, उम्र पर संदेह की वजह नहीं।
4) अभियोजन की कहानी को सपोर्ट करने वाले कृपालसिंह के बयान, जिसे मार दिया।
5) पूरी कहानी दुष्कर्म की नई परिभाषा पर टिकी, वह टूटी तो केस ही बिखर सकता है।
आरोप मुक्ति के आसार कम ?
1)जहां लाखों लोगों की आस्था जुड़ी होती है, उसका अपराध ज्यादा गंभीर माना जाता है।
2) जिसके संरक्षण में नाबालिग रहता है, वही उसका शोषण करे तो और भी संगीन है।
3) बचाव पक्ष का जोर बालिग साबित करने का था, उसमें कामयाबी नहीं मिल पाई।
4) पीड़िता के पिता पर 50 करोड़ मांगने का आरोप लगाया, 2008 से साबित नहीं हुआ।
5) केस के 3 अहम गवाह में से 2 की हत्या हो गई अौर एक की हत्या की कोशिश हुई।
जेल से छूटना आसान नहीं, क्योंकि...
1) पॉक्सो एक्ट 2012 में नाबालिग की उम्र 16 से 18 हो गई, पीड़िता 17वें साल में थी।
2) द क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट 2013 में दुष्कर्म की परिभाषा बदल गई, इसलिए 376 लगी।
3) धाराएं ऐसी, कम से कम 10 साल की सजा तो होगी ही, उम्रकैद के भी प्रावधान।
4)10 साल की सजा होने पर छह माह में पैरोल का हकदार, सजा का मकसद अधूरा।
5) गुजरात जेल में ट्रांसफर होगा, वहां ट्रायल पेंडिंग होने से बाहर आने की उम्मीद कम।
और कौन 4 आरोपी हैं इस मामले में ?
- अासाराम के अलावा उसके सेवादार शिवा, शरतचंद्र, शिल्पी और प्रकाश का भी फैसला होना है। उन्होंने लड़की को आसाराम तक पहुंचाने में मदद की थी। वे गिरोह बना कर दुष्कर्म करने की धारा 376डी के तहत आरोपी हैं।
- इनमें से प्रकाश ने तो जमानत ली ही नहीं और वह आसाराम की सेवा जेल में कर रहा है। बाकी तीनों जमानत पर हैं।
फैसला ऐतिहासिक होगा....
- 2012 में बने पॉक्सो एक्ट और 2013 में "द क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट" प्रभाव में आने के बाद ही आसाराम के खिलाफ केस दर्ज हुआ था और उसके खिलाफ आईपीसी की 376, 376(2)(f), 376(d) और पॉक्सो एक्ट की 5(f)(g)/6 व 7/8 धाराएं भी इन नए बदलावों के तहत लगी थी।ऐसे में इस केस में जो भी फैसला होगा, वह देश की न्यायिक और पुलिस अकादमियों में पढ़ाया जाएगा।
12 जमानत याचिकाएं लगाईं, सभी खारिज.....
- 01 सितंबर 2013 को गिरफ्तारी के बाद से आसाराम जेल में है। इस दौरान उसने 12 जमानत याचिकाएं लगाईं। इनमें से 6 ट्रायल कोर्ट में और तीन-तीन राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खारिज हुईं। आसाराम पर गुजरात में भी दुष्कर्म का एक मामला चल रहा है।
मामले में फैसला देने वाले जज की सुरक्षा कड़ी.....
- इस केस में फैसला देने वाले एससी-एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा को पुलिस की ओर से कड़ी सुरक्षा दी गई है।
- गिरफ्तारी के वक्त आसाराम ने कहा था कि जेल तो वैकुंठ है, कृष्ण भी वहीं जन्मे थे। फैसला सुनाने वाले जज मधुसूदन शर्मा भी कृष्ण भक्त हैं। रोज गंगश्यामजी मंदिर जाते हैं।
आसाराम पर ये आरोप लगाए थे पीड़िता ने ?
- आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली छात्रा ने अपने बयान में कहा, "मुझे दौरे पड़ते थे। गुरुकुल की एक शिक्षिका ने मेरे माता-पिता से कहा आसाराम से इलाज कराएं। आसाराम ने मुझे जोधपुर के पास मणाई गांव के फार्म हाउस में लाने को कहा। वहां पहुंचे तो मेरे माता-पिता को बाहर रोक दिया गया। उनसे कहा गया कि आसाराम विशेष तरीके से मेरा अकेले में इलाज करेंगे। इसके बाद मुझे एक कमरे में भेज दिया गया। वहां पर आसाराम पहले से मौजूद थे। उन्होंने मेरे साथ अश्लील हरकतें की। साथ ही धमकी दी कि यदि मैं चिल्लाई तो कमरे से बाहर बैठे उसके माता-पिता को मार दिया जाएगा। मुझे ओरल सेक्स करने को कहा था, लेकिन मैंने मना कर दिया।"
जेल में फैसला सुनाने का चौथा मामला.....
- जेल का हॉल कोर्ट रूम के लिए तैयार किया गया है। यह वही हॉल है जहां 31 साल पहले टाडा कोर्ट बनी थी और कठघरे में अकाली नेता गुरचरणसिंह टोहरा खड़े थे। वहीं आसाराम व उसके चार साधक भी अपना फैसला सुनेंगे।
- जेल में फैसला सुनाने के देश में चंद ही उदाहरण हैं। जिनमें इंदिरा गांधी के हत्यारों, आतंकी कसाब और राम-रहीम को भी जेल में ही फैसला सुनाया गया था। यह चौथा मामला है, जब सुरक्षा कारणों से कोर्ट अपना फैसला जेल में ही सुनाएगा।