आपातकाल की 43वीं बरसी पर 60 लोकतंत्र रक्षक सेनानियों (मीसाबंदीयों) का हुआ सम्मान
देश विकास के प्रति ईमानदारी आवश्यक है.....जसराज मेहता
रिपोर्ट- ब्यूरों डेस्क
नीमच। देश की आजादी में संघर्ष सहनशीलता सफलता का प्रमुख आधार है। संस्कृति भारतीयों के खुन में बसी है आपातकाल में लोगों ने जेलों में यातनाएं सही थी। देश के सभी महान लोग संघर्षशील सहनशील थे। श्रीराम ने 14 वर्ष वनवास में बिताया और संसार को आर्दश मर्यादा का प्रेरणादायी संदेश दिया। कृष्ण का जन्म ही जेल में हुआ। इसलिए यातना से घबराना नहीं चाहिए। यह बात स्वदेश के पूर्व सम्पादक एवं चैरवति के सम्पादक जयकृष्ण गौड ने कही वे भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय आपातकाल की 43वीं बरसी के उपलक्ष्य में जसराज मेहता मित्र मण्डल के तत्वावधान में शिवाषीश संस्था द्वारा माहेश्वरी भवन में मंगलवार 9 जुलाई दोपहर को आयोजित 60 लोकतंत्र प्रहरियों के सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि म.प्र. एवं हरियाणा सरकार ने मीसाबंदियों को 25 हजार रूपये मासिक की पेंशन योजना प्रारम्भ की है। अफगानिस्तान से श्रीलंका तक अखण्ड भारत पर चाणक्य की बुद्धि से चन्द्रगुप्त मोर्य ने सफल शासन किया था। चाणक्य के सिद्धान्तों को राजनेता आत्मसात करे तो वे भी सफल हो सकते है। चाणक्य आर्दश ईमानदार, राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री थे। युवा वर्ग को संस्कारों की शिक्षा को जीवन में आत्मसात करना होगा तभी विकसित अखण्ड स्वराज्य भारत का सपना पुरा होगा। जब तक युवाओं में संस्कृति के संस्कारों की ऊर्जा विद्यमान है, तब तक दुनिया की कोई ताकत भारत को गुलाम नहीं बना सकती है। भारत भारतीय संस्कृति के कारण सदैव आजाद रहा है। अंग्रेजों और मुगलों के अधीन राजनैतिक गुलामी रही है, लेकिन उस काल में भी सांस्कृतिक आजादी पुरी थी। तीज-त्यौहार, कुम्भ-सिंहस्थ में पुरा भारत बिना किसी सूचना के मात्र 5 पैसे के पंचाग में तिथि देखकर लाखों का जनसैलाब पहुॅचता था। इस पर अंग्रेज भी हैरत में पड़ जाते थे। जिस देश की संस्कृति जीवित है व देश सदैव अमर है, वह कभी मर नहीं सकता है। संस्कारों की परम्परा से ही भारत शक्तिशाली राष्ट्र बना है। अंग्रेजों के काल में भी प्यारेलाल खंण्डेलवाल, खुमानसिंह शिवाजी, भेरोसिंह शेखावत, रघुनंदन शर्मा आदि ने 19 माह तक जेलों में यातनाएं सही, लेकिन मीसाबंदियों के परिवारजनों की रोटी का प्रबन्ध भी गुप्त रूप से मीसाबंदियों ने किया जो आज भी प्रासंगिक है। सत्याग्रह में लोग स्वंय जुड़े और जेल गए। इन्दिरा गांधी, हिटलर थी सतयुग में राक्षस, त्रेता में रावण, कृष्णपक्ष में कंस अपना तांडव फैलाया लेकिन संस्कारों देश भारत की संस्कृति आज भी अपनी शक्तिशाली परम्पराओं के साथ सुद्रढ़ रूप में विद्यमान है। शिवनारायण शर्मा ने कहा कि जसराज मेहता का प्रयास सम्मान योग्य कदम है। युवा वर्ग देश समाज के लिए भी कुछ करे तो देश विकास की गति में अग्रणी रहेगा। राष्ट्रीय स्वंय सेवक विभाग संघ चालक प्रहलादराय गर्ग दड़ौलीवाला ने कहा कि म.प्र. सरकार ने मीसाबंदियों के सम्मान में पैंशन योजना लागु की है। युवा वर्ग राष्ट्र निर्माण में सहभागी बने। पहले देश में किसी को भी बोलने की आजादी नहीं थी। पहले भोजन के गेहूं तक सरकार जब्त कर लेती थी। सज्जनसिंह चैहान भाईजी ने कहा कि 47 साल पहले आपातकाल में लोकतंत्र की खुले आमहत्या की गई थी, लोगों को जेलों में बंद कर दिया था। लोकतंत्र प्रहरी प्रदेश उपाध्यक्ष मोहनलाल मरच्या ने कहा कि इन्दिरा गांधी सत्ता नहीं छोड़ना चाहती थी। जनता ने इन्दिरा गांधी को भी चुनाव हरा दिया था। देश में कांग्रेस का व्यक्ति भी सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था। 500 लोगों को बंदी बना जेल में यातना दी। शिवराज सरकार ने सबके लिए जन कल्याणकारी योजनाएं लागु की है। जिसका लाभ सभी को मिल रहा है। जसराज मेहता ने कहा कि शिवराज सरकार ने इतनी जन कल्याणकारी योजनाऐं लागु की है, जिसका सभी वर्गो को लाभ मिल रहा है। भाजपा ने सबका साथ-सबका विकास को सार्थक किया है। देश में विरोध के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है। आपातकाल रात को लगा, देश ने काले दिन देखे थे। देश विकास के प्रति ईमानदारी आवश्यक है।
इस अवसर पर 60 लोकतंत्र प्रहरी मीसाबंदी का समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवा गतिविधियेां के लिए शाॅल, टुपटा, ट्राफी, प्रशस्ती पत्र, माला से सम्मान किया गया। समाजसेवी राकेश भारद्वाज, मनोहरलाल जैन, धर्म जागरण विभाग प्रमुख इंदौर, सोहनलाल जोशी भी मंचासिन थे। कार्यक्रम में प्रेमसिंह परिहार, समरथमल पटवा, मंहत अयोध्यादास शास्त्री, नपाध्यक्ष राकेश पप्पू जैन, पूर्व नपा उपाध्यक्ष महेन्द्र भटनागर, लोकतंत्र प्रहरी प्रदेश उपाध्यक्ष राधेष्याम वैष्णव, डाॅ. मोहनलाल, बाबुलाल चैधरी, वीणा खण्डेलवाल, किशोर सेन, माधवसिंह चैधरी, अजीतसिंह चैधरी, एड़ देवीसिंह जिंदल, वेणीराम पाटीदार, रामस्वरूप खंण्डेलवाल, अनिल गोयल, श्याम शर्मा, नारायणसिंह रामपुरा के पठान, रसीदा बी, गीताबाई, हेमलता धाकड़, मीना जायसवाल, रंजना स्वामी, नमो ग्रुप के रोशन वर्मा, राजू नागदा मोडी, राजू नागदा कानाखेड़ा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विनोद नागदा एवं राधेष्याम वैष्णव ने किया तथा आभार राकेश भारद्वाज ने किया।