सु-प्रभात
Neemuch 17-07-2018 Thought of the day
छोटी सी "ज़िन्दगी" है हँस के जियो
भुला के गम सारे दिल से जियो
उदासी में क्या रखा है
मुस्कुरा के जियो
अपने लिए न सही
"अपनों" के लिए जियो
बोलने से पहले
"लफ्ज"
इन्सान के गुलाम होते हैं,
लेकिन बोलने के बाद
इंसान
अपने "लफ्ज" का
गुलाम हो जाता है ।
"लफ्ज"
इन्सान के गुलाम होते हैं,
लेकिन बोलने के बाद
इंसान
अपने "लफ्ज" का
गुलाम हो जाता है ।
"लफ़्ज़" आईने हैं;
मत इन्हें उछाल के चल,
अदब की राह मिली है तो;
देखभाल के चल;
मिली है ज़िन्दगी तुझे;
इसी मकसद से,
सँभाल खुद को भी और;
औरों को सँभाल के चल।
मत इन्हें उछाल के चल,
अदब की राह मिली है तो;
देखभाल के चल;
मिली है ज़िन्दगी तुझे;
इसी मकसद से,
सँभाल खुद को भी और;
औरों को सँभाल के चल।